Sultanpur Doctor Murder Case Update: Doctor Ghanshyam Tiwari Murder in sultanpur | रंगदारी नहीं दी तो ड्रिल मशीन से पैर छेद डाला…क्रूर इतना कि बनवा रखा है टॉर्चर रूम

सुल्तानपुर10 मिनट पहलेलेखक: देवांशु तिवारी / राजेश साहू

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सुल्तानपुर में डॉक्टर घनश्याम तिवारी को जगदीश नारायण सिंह का प्लॉट पसंद आया। उन्होंने खरीदने का मन बना लिया। पत्नी निशा को दिखाया तो उन्होंने कहा कि जगह थोड़ी सी कम है। डॉक्टर ने उसके बगल वाला प्लॉट भी खरीदने का फैसला कर लिया। 50 लाख में सौदा हुआ। कागज पर साइन हुए…रजिस्ट्री हुई। लेकिन कब्जा नहीं मिला। क्योंकि जमीन के सौदे के बीच जगदीश नारायण का हिस्ट्रीशीटर बेटा अजय नारायण सिंह आ गया। अजय सुल्तानपुर का बड़ा लैंड माफिया है, उस पर 2013 में नारायणपुर गांव के पास 32 गधों को जिंदा कटवाने का केस दर्ज है।

उसने डॉक्टर से पहले 25 हजार रुपए…फिर 50 हजार रुपए लिए। कुछ पूछने पर वह हमेशा कहता कि जितना कहूं उतना करो। एक दिन उसके इस रवैये से तंग डॉक्टर ने पैसा देने से मना किया। इस बात से अजय इतना गुस्सा गया कि डॉक्टर को करीब 2 घंटे तक पीटा। पैर में ड्रिल मशीन से छेद कर दिया। हाथ की हड्डियां तोड़ दी। इतना मारा कि डॉक्टर की कुछ देर बाद ही मौत हो गई। हत्या के बाद खूब हंगामा होता है। मृतक के घरवालों को मुआवजे के ऐलान के साथ ही आरोपी की 4 करोड़ की संपत्ति पर बुलडोजर चलता है। लेकिन अब तक गिरफ्तारी नहीं होती।…ऐसा क्यों?

दैनिक भास्कर इस पूरे मामले को कवर करने सुल्तानपुर पहुंचा। हमारी टीम पीड़ित परिवार से मिली। आरोपी के घर गए। बुलडोजर की कार्रवाई देखी। आरोपी का राजनीतिक रसूख और गांव में फैले उसके दबंगई के किस्से जाने।आइए सबकुछ आपको एक तरफ से बताते हैं…

डॉक्टर ने 25-25 लाख रुपए की दो प्रॉपर्टी खरीदी

यह डॉ. घनश्याम की उनकी पत्नी निशा के साथ आखिरी तस्वीर है। फोटो उनकी शादी की सालगिरह की है।

यह डॉ. घनश्याम की उनकी पत्नी निशा के साथ आखिरी तस्वीर है। फोटो उनकी शादी की सालगिरह की है।

डॉक्टर घनश्याम तिवारी का घर सुल्तानपुर जिले के सखौनी गांव में है। वह 6 भाइयों में चौथे नंबर पर थे। घनश्याम ने MBBS की पढ़ाई की और फिर नौकरी में आ गए। वापस त्योहारों पर ही घर जाना होता था। पहली पोस्टिंग फैजाबाद में मिली। 2017 में वह सुल्तानपुर आ गए। उस वक्त जिले में सीबीएन तिवारी सीएमओ थे। उन्होंने घनश्याम का इंटरव्यू किया और उन्हें भदैया सीएचसी में पोस्टिंग मिली। 3 साल बाद उनका ट्रांसफर जयसिंहपुर सीएचसी में बतौर संविदा डॉक्टर नियुक्ति हुई। वह शास्त्री नगर में किराए का घर लेकर पत्नी निशा तिवारी और बेटे के साथ रहने लगे।

घनश्याम अपना खुद का घर बनाना चाहते थे इसलिए उन्होंने खर्चे कम रखे और कमाई के अलग-अलग साधनों पर फोकस किया। वह सुल्तानपुर के बीजेपी अध्यक्ष आरए वर्मा की गोमती हॉस्पिटल में भी मरीजों को देखते थे। इसी दौरान उनकी मुलाकात नारायणपुर के जगदीश नारायण सिंह से हुई। जगदीश प्रॉपर्टी का काम करते हैं। पूरा परिवार राजनीतिक है। भाई बब्बन बीजेपी के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। एक दूसरे भाई के लड़के चंदन सिंह इस वक्त भाजपा युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष हैं।

घनश्याम ने पहले 25 लाख रुपए में एक प्लॉट बुक किया। यह करीब एक बिस्वा था। इसके एवज में उन्होंने जगदीश नारायण को पैसा भी दे दिया। कुछ वक्त के बाद उनकी पत्नी निशा ने कहा कि जिस तरह से हम लोग घर सोच रहे हैं उसके लिए यह जमीन कम लग रही है। घनश्याम को भी लगा कि निशा सही कह रही हैं। उन्होंने जगदीश नारायण से बगल वाला प्लॉट भी खरीद लिया। सारा पैसा चुका दिया। जब बात कब्जे की आई तब जगदीश नारायण का बेटा अजय नारायण सिंह बीच में आ गया।

अजय सिंह ने पैसा लिए फिर पीट-पीटकर मार दिया
अजय ने घनश्याम से कहा कि जमीन पर कब्जा नहीं मिलेगा, पहले कुछ खर्च दीजिए। डॉक्टर ने उसे 25 हजार रुपए दे दिए। इसके कुछ दिन बाद अजय ने डॉक्टर से अपने खर्च के लिए 50 हजार रुपए मांगा। डॉक्टर ने देने से मना कर दिया। कहा कि हमारे पास इतना पैसा नहीं कि आपको दे पाएं। इसी बात के बाद अजय का डॉक्टर से विवाद हो गया। उसने तय कर लिया कि इसका बदला लूंगा।

23 सितंबर। दिन शनिवार। दिन में 2 बार अजय का फोन आया लेकिन डॉक्टर ने रिसीव नहीं किया। शाम को वह 4 बजे ड्यूटी से वापस आए। बैग रखते ही उन्होंने पत्नी से 3 हजार रुपए मांगे और लेकर घर से निकल गए। उन्होंने पत्नी को बस इतना ही बताया कि कुछ वक्त के बाद वापस आ जाऊंगा। दरअसल, डॉ. घनश्याम को अजय सिंह ने बुलाया था। अजय डॉक्टर को लेकर नारायणपुर गांव ले गया। वहां एक पेट्रोल पंप के पीछे ले जाकर उसने घनश्याम को पीटना शुरू किया।

हाथ, पैर, डंडे से जितना पीट सकता था पीटा। मारते-मारते हाथ दो जगह से तोड़ दिया। सीने पर चढ़कर मारा। इसके बाद भी मन नहीं भरा तो उसने ड्रिल मशीन से डॉक्टर के पैरों में छेद कर दिया। यह सब किसी ने देखा नहीं लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आई तो यह बातें अपने आप सामने आ गईं। डॉक्टर को पीट-पीटकर अधमरा करने के बाद अजय ने डॉक्टर को भगा दिया। डॉक्टर किसी तरह से ई-रिक्शे की मदद से घर पहुंचे। घर के बाहर खड़ी निशा उनका हाल देखकर चौंक गईं। डॉक्टर ने उतरते ही कहा कि अजय नारायण ने मुझे बहुत मारा। शायद अब मैं ज्यादा जिंदा नहीं रह पाऊंगा।

निशा ने मदद के लिए मुहल्ले में लोगों को आवाज लगाई। कुछ लोगों के साथ निशा पति को लेकर जिला अस्पताल पहुंची। इलाज शुरू हो गया लेकिन हालत लगातार खराब होती गई। रात में डॉक्टर ने दम तोड़ दिया। अगली सुबह पोस्टमॉर्टम हुआ। बॉडी की हालत देखकर डॉक्टर दंग रह गए। हाथ और पैर की हड्डियां टूटी हुई थींं। शरीर के अलग-अलग हिस्सों में 6 गंभीर चोट थी। जब यह बात बाहर आई तो पुलिस प्रशासन के होश उड़ गए। तुरंत केस दर्ज हुआ और गिरफ्तारी के लिए अजय नारायण को खोजबीन शुरू हुई।

  • यहां रुकते हैं। आगे बढ़ने से पहले इस केस की टाइमलाइन देख लीजिए…

32 गधों को जिंदा कटवाने का आरोपी है अजय नारायण
आरोपी अजय की क्रिमिनल हिस्ट्री जानने के लिए हमारी टीम नारायणपुर गांव पहुंची। हमने स्थानीय लोगों से अजय नारायण के बारे में पूछा। लोग कैमरे के सामने आने से डरते हैं। कहते हैं वो दबंग परिवार है। हम ऑफ कैमरा आपको उसके बारे में बता सकते हैं। एक व्यक्ति बताते हैं, 2013 में अजय नारायण के खेत में गांव के ही एक व्यक्ति के 32 गधे चले गए थे। इसके बाद अजय ने उन सभी को ट्रेन की पटरी से बांधा और कुल्हाड़ी से किसी का पैर तो किसी की गर्दन काट दी। यह ऐसा वीभत्स अपराध था कि जिसने भी देखा वह कांप कर रह गया।

अजय नारायण का स्वभाव क्रूरता से भरा था। उसका मुख्य काम ब्याज पर पैसा देना था। जैसे किसी को 1 लाख रुपए देता था तो हर महीने 10% के हिसाब से 10 हजार रुपए ब्याज लेता था। जो नहीं दे पाते थे उनके साथ बेहद क्रूरता के साथ निपटता था। गांव की ही सरकारी जमीन पर उसने मैरिज हॉल बना रखा था। वहां और कोई नहीं रहता था। उसने यहां एक टॉर्चर रूम बना रखा था जहां वह लोगों को लाकर निर्ममता के साथ पीटता था। उसके साथ 2-3 और लोग होते थे जो उसके साथ लोगों को पीटते थे। पुलिस ने सोमवार को इस टॉर्चर रूम की बाउंड्री गिराई है।

दबंग अजय नारायण से नारायणपुर के लोग इतना डरते हैं कि उसके सामने किसी की आने की हिम्मत तक नहीं होती।

दबंग अजय नारायण से नारायणपुर के लोग इतना डरते हैं कि उसके सामने किसी की आने की हिम्मत तक नहीं होती।

अजय नारायण का परिवार राजनीतिक है। पिता कुल 5 भाई हैं। इसमें एक बब्बन सिंह हैं, जो सुल्तानपुर बीजेपी के जिला अध्यक्ष रह चुके हैं। एमएलसी भी बीजेपी से ही बने। अजय नारायण के चचेरे भाई चंदन सिंह इस वक्त बीजेपी युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष हैं। उन्होंने अपना कार्यालय नलकूप विभाग की जमीन पर बना रखा था। जिसे आज तोड़ दिया गया। चंदन सिंह का भी नाम शिकायत में दर्ज है।

SP बोलें- अजय के 3 ठिकाने ध्वस्त, पिता गिरफ्तार
MBBS डॉक्टर की हत्या मामले में सुल्तानपुर SP सोमेन वर्मा ने बताया, “आरोपी अजय और उसके साथियों तक पहुंचने के लिए पुलिस ने 3 से 4 लोगों को हिरासत में लिया है। साथ ही जिस ई-रिक्शा से हत्यारोपी ने डॉक्टर को घर भेजा था। उसे ट्रेस कर लिया गया है। चालक को पुलिस कस्टडी में रखकर उससे पूछताछ की जा रही है। अजय ने नगर पालिका क्षेत्र की 3 जगहों पर अवैध कब्जा किया था, जिसे चिह्नित करके ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की गई है।”

डॉ. घनश्याम की पत्नी निशा तिवारी ने SP ऑफिस को पत्र देकर FIR में अजय नारायण के अलावा भाजयुमो जिलाध्यक्ष चंदन नारायण, जगदीश नारायण, गिरीश नारायण, विजय नारायण समेत चार अन्य अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की है। हत्याकांड के 3 दिन बाद भी अरोपी फरार हैं।

पीड़ित परिवार के साथ आई कांग्रेस
यूपी कांग्रेस कमेटी के प्रदेश महासचिव विवेकानंद पाठक डॉ. घनश्याम के परिवार से मिलने पहुंचे। उन्होंने बताया कि पीड़ित परिवार को जल्द से जल्द न्याय दिलाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा है। हम उनके परिवार के साथ खड़े हैं। आरोपियों को जेल तक पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।

“इस हत्याकांड के आरोपियों का जिले के कई भाजपा नेताओं के पारिवारिक संबंध रहा है। इसका फायदा उठाकर वह अभी तक फरार चल रहे हैं। हमारी शासन प्रशासन को एक हफ्ते का समय दिया है। अगर तब तक आरोपी नहीं पकड़े जाते हैं, तो हम सड़क से संसद तक इस मुद्दे को उठाएंगे।”

  • डॉ. घनश्याम के अंतिम संस्कार के बाद हम पीड़ित परिवार से मिलने सखौली पहुंचे।

‘बेटा पूछता है- पापा पोस्टमॉर्टम रूम से कब वापस आएंगे मम्मी?’
सुल्तानपुर की लंभुवा तहसील में पड़ता है सखौली गांव। यहीं पर डॉ. घनश्याम का पुश्तैनी मकान है। जब हम यहां पहुंचे तो घर के बाहर करीब 30-40 लोग बैठे मिले। हम पत्नी निशा के पास पहुंचे। वह अपने बेटे साथ घर के एक हिस्से में गुमसुम बैठी थीं। वह कहती हैं, “अजय नारायण अच्छा आदमी नहीं था। डॉक्टर साहब को परेशान करता था। हमने उन्हें एकबार पैसा देने से मना भी किया लेकिन उन्होंने कहा कि छोड़ो जाने दो। आज उसने मेरे पति को मार दिया। बेटे को अनाथ कर दिया। अब मैं इस बच्चे को क्या जवाब दूं? यह तो हमसे पूछ रहा था कि पापा पोस्टमॉर्टम रूम से कब वापस आएंगे मम्मी?”

निशा कहती हैं, “उसने मेरे पति को बहुत बुरी तरह से मारा। सीने पर चढ़कर उनकी हड्डियां तोड़ दी। उनकी हालत देखकर मैं डर गई। आज उन्होंने मेरे पति को मारा, आगे वह मेरे बेटे को भी मार सकते हैं। मैं चाहती हूं कि जैसे उसने मेरे पति को मारा, वैसे ही सजा उसे मिले।”

पीड़ित परिवार की मांग पर सहमति मिलने के बाद सोमवार सुबह डॉ. घनश्याम का अंतिम संस्कार हुआ।

पीड़ित परिवार की मांग पर सहमति मिलने के बाद सोमवार सुबह डॉ. घनश्याम का अंतिम संस्कार हुआ।

फिलहाल…
इस हाई प्रोफाइल मामले को लेकर सियासत गर्म है। विपक्षी पार्टियां हमलावर हैं। पुलिस प्रशासन ने इस मामले में तेजी दिखाते हुए पहले केस दर्ज किया फिर अजय नारायण सिंह द्वारा कब्जाई जमीन को मुक्त करने में लग गई। कुल 4 करोड़ रुपए की अवैध जमीन को मुक्त करवाया। अजय सिंह के चचेरे भाई चंदन सिंह का अवैध बीजेपी युवा मोर्चा का कार्यालय बुलडोजर के जरिए गिरा दिया गया। वह नलकूप विभाग की जमीन पर बना था। इसके अतिरिक्त अजय सिंह के एक घर की बाउंड्री तोड़ी गई है।

पीड़ित परिवार की तरफ से एक करोड़ रुपए मुआवजा, पत्नी को नौकरी, खरीदी गई जमीन पर तुरंत कब्जा, शस्त्र लाइसेंस की सुविधा, आरोपियों की गिरफ्तारी और बुलडोजर की कार्रवाई की मांग की गई। सुल्तानपुर की डीएम जसजीत कौर ने इन सभी मांगो पर सहमति जताते हुए दस्तखत कर दिया। आखिर में मांग से जुड़ा यह ग्राफिक देखिए…

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