Shimla: Washington Apple Import duty | Prime Minister Narinder Modi | Congress Leader Supriya Shrinet | USA President | Himachal Apple | Shimla News | सुप्रीया श्रीनेत बोली- प्रधानमंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति से किया कमिटमेंट, इससे बर्बाद होगा हिमाचल का बागवान

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शिमला3 मिनट पहले

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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार हिमाचल के सेब बागवानों को बड़ा झटका देने की तैयारी में है। केंद्र सरकार वाशिंगटन एप्पल पर इंपोर्ट ड्यूटी 50 फीसदी से घटाकर 15 प्रतिशत करने की तैयारी में है। प्रधानमंत्री मोदी इससे पहले जून महीने में भी वाशिंगटन एप्पल पर इंपोर्ट ड्यूटी 70 फीसदी से घटाकर 50 प्रतिशत कर चुके हैं।

अब यदि इसे घटाकर 15 फीसदी किया गया तो हिमाचल का 5000 करोड़ रुपए का सेब उद्योग संकट बर्बाद हो जाएगा। कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने दिल्ली में प्रेस कॉफ्रेंस में कहा कि PM मोदी ने जी-20 सम्मेलन के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति को खुश करने के वाशिंगटन एप्पल पर इंपोर्ट ड्यूटी 15% करने का कमिटमेंट किया है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अमेरिकी राष्ट्रपति को खुश करने में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी ने हिमाचल के बागवानों से सेब पर इंपोर्ट ड्यूटी 100 फीसदी करने का वादा किया था। इसे पूरा करने के बजाय मोदी सरकार हिमाचल के सेब उद्योग को तबाह करने पर तुली हुई है।

बागवानों की चिंता का कारण ये सरकारी आंकड़े

हिमाचल के बागवानों की चिंताएं बढ़नी शुरू हो गई है। इनकी चिंता का कारण मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के आंकड़े हैं। मंत्रालय के अनुसार, साल 2017-18 में जब वॉशिंगटन एप्पल पर इंपोर्ट ड्यूटी 50% थी, तब वॉशिंगटन से भारत के लिए 1,27,908 मीट्रिक टन एप्पल इंपोर्ट किया गया था।

साल 2018 में सेब पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाकर 70% की गई। इसके बाद वित्त वर्ष 2022-23 में वॉशिंगटन से सेब का इंपोर्ट कम होकर मात्र 4,486 टन रह गया। ​​​​​​​यानी इंपोर्ट ड्यूटी 50 से 70 प्रतिशत करने के बाद सेब का आयात 29 गुणा कम हो गया। जब यह घटकर 15% हो जाएगी, तो सेब का आयात कई गुणा बढ़ेगा।

हिमाचल के बागवानों को इसलिए खतरा

हिमाचल के बागवान अभी सात से आठ मीट्रिक टन सेब प्रति हैक्टेयर पैदा कर रहे हैं, जब​कि वाशिंगटन में 60 से 70 मीट्रिक टन सेब की पैदावार प्रति हैक्टेयर हो रही है। हिमाचल में कम उत्पादन के कारण अभी प्रति किलो लागत मूल्य 25 से 26 रुपए के आसपास बनता है और सेब आयात बढ़ने के बाद देश के बाजारों में हिमाचल के सेब की मांग खत्म हो जाएगी।

हिमाचल के साथ साथ जम्मू कश्मीर और उत्तराखंड का सेब उद्योग भी इस​​​​​​​से खतरे में आ जाएगा।

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