Pakistan Crisis; Reasons For Foreign Oil Companies Leaving Pakistan | आतंकी हमलों का खौफ, 10 विदेशी तेल कंपनियां पाक से गईं

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इस्लामाबाद से भास्कर के लिए रजा हमदानी9 घंटे पहले

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पाकिस्तान की बदहाल सुरक्षा व्यवस्था के चलते अब उसके बड़े-बड़े हिमायती साथ छोड़ने लगे हैं। पाकिस्तान की आंतरिक अशांति, आतंकी हमलों के खौफ ने कारोबारी माहौल बिगाड़ दिया है।

तेल और गैस उत्खनन करने वालीं 10 से ज्यादा इंटरनेशनल कंपनियों ने अपना कारोबार समेट लिया है। पाकिस्तान में अब तेल और गैस खोजने वाली तीन ही अंतरराष्ट्रीय कंपनियां बची हैं। इसके चलते पाकिस्तान में तेल उत्पादन में 50 फीसदी की गिरावट आ गई है।

ऊर्जा संकट से जूझ रहा पाकिस्तान पेट्रोल-डीजल और प्राकृतिक गैस के आयात पर हर साल 1.91 लाख करोड़ रुपए खर्च करता है। इसमें से 1.33 लाख करोड़ से पेट्रोल-डीजल और 54 हजार करोड़ रुपए गैस के पर खर्च होते हैं।

पाकिस्तान सरकार से जुड़े एक अधिकारी का कहना है कि विदेशी कंपनियों के छोड़कर जाने के बाद पाकिस्तान को विदेश से ज्यादा तेल और गैस का आयात करना पड़ सकता है, जिससे आर्थिक संकट और नकदी की कमी से जूझ रहे पाक के लिए और बुरे दिन आ सकते हैं।

20 साल से काम कर रही इटली की कंपनी ने भी पाक छोड़ा
एक्सपर्ट का कहना है कि कोई भी कंपनी बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वाह में अपना काम कैसे जारी रख सकती है? वहां काम करने के हालात ही नहीं है। कंपनियों के कर्मचारियों पर लगातार हमले होते रहे हैं।

कंपनियों के बार-बार मदद मांगने के बाद भी सुरक्षा प्रदान नहीं की गई। इसी वजह से पाकिस्तान में 20 साल से काम कर रही इटली की तेल और गैस कंपनी ईएनआई को देश छोड़ना पड़ा। वह अपना सारा बिजनेस पाक की स्थानीय कंपनी हुबको को बेचकर चली गई।

यह कंपनी 2018 में हर रोज 30 लाख क्यूबिक मीटर गैस प्रति दिन पाकिस्तान को सप्लाई करती थी। यह कंपनी दुनिया की 7 सुपर मेजर तेल कंपनियों में से एक और पाकिस्तान की सबसे बड़ी गैस उत्पादक कंपनी है। इससे 2 साल पहले, सिंगापुर की कंपनी पूमा एनर्जी भी पाक छोड़ चुकी है।

हालात नहीं सुधरे तो सबसे बड़ा असर आम लोगों पर पड़ेगा
पूर्व पेट्रोलियम सचिव और ऊर्जा मामलों के विशेषज्ञ गुलाम साबरी ने कहा कि सुरक्षा स्थिति के अलावा राजनीतिक अस्थिरता और कारोबार के अनुकूल नीतियों की कमी ने हालात और जटिल बना दिए हैं।

सरकार और इंडस्ट्री में संवाद नहीं होने से हालात बुरे होते जा रहे हैं। साबरी कहते हैं कि नाइजीरिया ने हालात सुधारे हैं तो पाक क्यों नहीं सुधार सकता? स्थिति नहीं सुधरी तो इसकी सबसे बड़ी मार आम लोगों पर पड़ेगी, उन्हें पेट्रोल-डीजल और गैस के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं।

सीपेक को सुरक्षा मिली, तो तेल कंपनियों को क्यों नहीं: एक्सपर्ट
नाम गोपनीय रखने की शर्त पर एक एक्सपर्ट का कहना है कि जब पाकिस्तान चीन के सीपेक कॉरिडोर को सुरक्षा देने के लिए सेना की ब्रिगेड बना सकता है तो देश को घाटे से बचाने वाली तेल और गैस कंपनियों को सुरक्षा मुहैया क्यों नहीं करा सकता?

पाकिस्तान के पास अभी 27 अरब बैरल का तेल भंडार और लगभग 150 ट्रिलियन क्यूबिक फीट गैस के भंडार है। अभी पाक के 70% तेल और गैस को निकालना बाकी है। लेकिन पाकिस्तान विदेशी कंपनियों पर निर्भर है, उनके जाने से समस्या बढ़ जाएगी।

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कंगाल पाकिस्तान को फंसाने पर चीन की नजर:पाकिस्तान के ऊर्जा संसाधन नया टारगेट

आर्थिक संकट में घिरे पाकिस्तान को अपने जाल में फांसने के लिए चीन ने एक और तैयारी कर ली है। पाकिस्तान में सरकारी कंपनियों काे बेचने की कवायद चल रही है। इन पर चीन की नजर है। वह दाे गैस कंपनियाों सुई नॉर्दर्न और सुई सदर्न काे खरीदने जा रहा है। यह कंपनियां गैस के भंडार वाले बलूचिस्तान प्रांत में गैस की खोज में शामिल हाेंगी। पढ़ें पूरी खबर…

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