Kim Jong Un Russia Visit:किम जोंग-उन रूस की यात्रा के लिए रवाना, हथियार सौदे पर पुतिन से करेंगे वार्ता – Russia And North Korea Have Confirmed That North Korean Leader Kim Jong Un Will Visit Kremlin

Russia and North Korea have confirmed that North Korean leader Kim Jong Un will visit Kremlin

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– फोटो : Twitter

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उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से हथियार सौदे पर वार्ता करने के लिए रूस की यात्रा पर रवाना हो गए हैं। पहले यह दावा दक्षिण कोरिया के मीडिया ने सरकारी सूत्रों का हवाले से किया, लेकिन शाम तक क्रेमलिन ने भी इस यात्रा की पुष्टि कर दी। बाद में उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया ने भी किम जोंग-उन की रूस यात्रा की पुष्टि कर दी। इससे पहले खबर आई थी कि उत्तर कोरिया के तानाशाह किम और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच इस महीने मुलाकात हो सकती है।

दावा किया गया है कि ट्रेन उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग से रवाना हुई और रूसी शहर व्लादिवोस्तोक पहुंची। यहां किम-पुतिन की बैठक मंगलवार की सुबह होनी है। हालांकि, कुछ कोरियाई मीडिया ने इस तरह की रिपोर्ट पहले ही प्रकाशित कीं, लेकिन दक्षिण कोरिया की खुफिया एजेंसी ने इन रिपोर्टों पर कोई टिप्पणी नहीं की। अमेरिकी अधिकारियों ने पिछले सप्ताह ही खुफिया जानकारी दी थी कि पुतिन और किम जोंग जल्द ही हथियार सौदे पर पूर्वी रूसी शहर व्लादिवोस्तोक में मुलाकात करने वाले हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तर कोरिया रूस को यूक्रेन युद्ध के लिए हथियार सप्लाई कर सकता है। बता दें कि अमेरिका ने हाल में ही रूस को उत्तर कोरिया से गुप्त बातचीत को लेकर चेतावनी दी थी। अमेरिका के नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता एड्रियन वाटसन ने कहा था कि हम पहले ही सार्वजनिक रूप से चेतावनी दे चुके हैं कि रूस और डीपीआरके के बीच हथियारों की डील को लेकर बातचीत हो रही है।

बीते साल भी उत्तर कोरिया ने रूस को सप्लाई किए थे हथियार

अमेरिकी अधिकारियों का दावा है कि उत्तर कोरिया ने बीते साल भी रूस को रॉकेट और मिसाइल की सप्लाई की है। जिनका इस्तेमाल वैगनर ग्रुप द्वारा किया गया था। रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई सोइगु ने भी बीते महीने उत्तर कोरिया का दौरा किया था। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका, ब्रिटेन, दक्षिण कोरिया और जापान ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा था कि कोई भी डील जो रूस और उत्तर कोरिया के बीच द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाती है तो उसे सुरक्षा परिषद प्रस्ताव  का उल्लंघन माना जाएगा। गौरतलब है कि रूस ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया था।

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