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43 मिनट पहले
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तस्वीर रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दावेदारी कर रही कैंडिडेट निकी हेली की है।
इजराइल-हमास जंग के बीच रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद की दावेदारी कर रही कैंडिडेट निकी हेली ने इस्लामिक देशों की आलोचना की है। निकी हेली ने पूछा है कि आखिर गाजा छोड़ रहे फिलिस्तीनियों को मुस्लिम देश पनाह क्यों नहीं दे रहे हैं।
भारतीय मूल की निकी हेली ने CNN को दिए एक इंटरव्यू में कहा- हमें यकीनन फिलिस्तीनी नागरिकों की चिंता करनी चाहिए, खासकर उनकी जो निर्दोश हैं, लेकिन इस सब के बीच अरब देश कहां हैं। उन्होंने कहा- कतर, लेबनान, जॉर्डन, मिस्र क्या कर रहे हैं। वो फिलिस्तीनियों के लिए अपने दरवाजे क्यों नहीं खोल रहे।
निक्की हेली ने इसका जिम्मेदार हमास को ठहराया। उन्होंने कहा कि अरब देश भी हमास से छुटकारा पाना चाहते हैं। जब वही हमास को स्वीकार नहीं कर रहे तो इजराइल क्यों करेगा। निक्की हेली ने कहा कि मुस्लिम देश अमेरिका और इजराइल को जिम्मेदार ठहराना चाहते हैं।

इजराइल के प्रधानमंत्री कार्यालय ने ये तस्वीर शेयर कर ये दावा किया है कि हमास ने इजराइली बच्चों को मारकर उन्हें जला दिया।
हेली ने कहा कि हमें इनकी बातों में नहीं आना चाहिए। ये देश चाहें तो सब ठीक कर सकते हैं। इनकी इतनी क्षमता है कि ये हमास को जाकर कहें कि वो हमले करना बंद करे और लोगों को जाने दे। कतर फिर भी हमास की लीडरशिप के साथ काम करेगा। ईरान फिर भी हमास की फंडिंग करेगा और सारे अरब देश चुप रहेंगे।
हेली के इंटरव्यू की अहम बातें…
- हमास गाजा में मरते हुए बच्चों की तस्वीरें दिखाकर सहानुभूति हासिल करेगा। वो फिलिस्तीनियों को ढाल बनाएंगे।
- हमें नहीं भूलना चाहिए की हमास ने इजराइल में क्या किया है। जान बचाने के लिए भागती लड़कियों को न भूलें। पालने में मारे गए बच्चों को न भूलें। सड़कों पर घसीटी गई औरतों को न भूलें।
- इजराइल अब जो भी एक्शन लेगा, उस पर अरब देश इजारइल को कोसेंगे। मैनें UN में काम करते हुए ये चीजें फेस की हैं।

तस्वीर इजराइली हमले के बाद मलबे में दबे शवों को निकाल रहे हैं।
ओबामा भी जिम्मेदार
हेली ने पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा पर आरोप लगाया कि उनके शासन में हुए ईरान परमाणु समझौते की वजह से गाजा में हमास और लेबनान में हिजबुल्लाह को ताकत मिली। दरअसल, 2015 में ईरान ने चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन, जर्मनी और अमेरिका के साथ एक परमाणु समझौता किया।
यह समझौता इसलिए हुआ क्योंकि पश्चिम देशों को डर था कि ईरान परमाणु हथियार बना सकता है या फिर वह ऐसा देश बन सकता है जिसके पास परमाणु हथियार भले ही ना हों, लेकिन उन्हें बनाने की सारी क्षमताएं होंगी। वो कभी भी उनका इस्तेमाल कर सकेगा।
ईरान के साथ परमाणु समझौता कर न्यूक्लियर कैपेसिटी बढ़ाने के उसके शोध कार्यक्रम को काफी नियंत्रित किया गया। ईरान को परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल पर जोर देने वाली अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के जरिए अंतरराष्ट्रीय निगरानी में लाया गया। इसके बदले परमाणु कार्यक्रम के चलते ईरान के पर लगे आर्थिक प्रतिबंध हटाए गए।
हालांकि, 8 मई 2018 को तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका को ईरान न्यूक्लियर डील समझौते से बाहर कर लिया। अमेरिका ने 2019 से ईरान पर फिर प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए थे।
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