DRDO successfully tests stratospheric airship | DRDO ने स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप का सफल परीक्षण किया: 17 किलोमीटर की ऊंचाई तक गए इस एयरशिप ने महत्वपूर्ण डाटा इकठ्ठा किया

नई दिल्ली13 मिनट पहले

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17 किलोमीटर की ऊंचाई यानी स्ट्रेटोस्फियर में तैनात यह एयरशिप बड़े इलाके पर नजर रख सकता है।

भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने शनिवार को मध्य प्रदेश के श्योपुर ट्रायल साइट से ‘स्ट्रेटोस्फेरिक एयरशिप प्लेटफॉर्म’ का पहला सफल फ्लाइट ट्रायल किया। यह एयरशिप DRDO की आगरा स्थित एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ADRDE) द्वारा विकसित किया गया है।

पहले ट्रायल में एयरशिप को करीब 17 किलोमीटर की ऊंचाई तक ले जाया गया। एयरशिप अपने साथ एक खास किस्म के उपकरणों से लैस पेलोड को साथ लेकर गया था, जिसने महत्वपूर्ण डाटा इकठ्ठा किया। अब इसका इस्तेमाल भविष्य में और भी अधिक ऊंचाई पर होने वाले एयरशिप मिशनों के लिए में किया जाएगा।

यह लंबे समय तक एक ही स्थान पर स्थिर रह सकता है और लगातार रियल टाइम डाटा भेज सकता है।

यह लंबे समय तक एक ही स्थान पर स्थिर रह सकता है और लगातार रियल टाइम डाटा भेज सकता है।

रक्षा मंत्रालय ने इस उपलब्धि की जानकारी देते हुए बताया कि DRDO ने श्योपुर में इस स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप प्लेटफॉर्म का पहला ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। उड़ान के दौरान एयरशिप के अंदर दबाव को नियंत्रित करने वाली प्रणाली (एन्क्लोज़र प्रेशर कंट्रोल) और किसी आपात स्थिति में हवा निकालने के सिस्टम (आपातकालीन डिफ्लेशन सिस्टम) की भी जांच की गई। परीक्षण पूरा होने के बाद इस प्रणाली को सुरक्षित रूप से वापस लाया गया।

मजबूत होगी भारतीय सेना रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने इस प्रणाली के डिजाइन, विकास और परीक्षण में शामिल डीआरडीओ टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह प्रोटोटाइप उड़ान, हवा से हल्के उच्च ऊंचाई वाले प्लेटफॉर्म सिस्टम को साकार करने की राह में एक मील का पत्थर है, जो स्ट्रेटोस्फेरिक ऊंचाइयों पर काफी लंबे वक्त तक हवा में रह सकता है।

इस सफलता के साथ भारत उन गिने-चुने देशों में शामिल हो गया है जिनके पास यह स्वदेशी तकनीक मौजूद है।

इस सफलता के साथ भारत उन गिने-चुने देशों में शामिल हो गया है जिनके पास यह स्वदेशी तकनीक मौजूद है।

कम ही देशों के पास है यह तकनीक DRDO ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर लिखा कि यह हवा से हल्का (लाइटर देन एयर) सिस्टम भारत की पृथ्वी का अवलोकन करने, खुफिया जानकारी जुटाने, निगरानी करने और टोही (ISR) क्षमताओं को बहुत बढ़ा देगा। इस सफलता के साथ भारत उन गिने-चुने देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास यह स्वदेशी तकनीक मौजूद है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO को इस शानदार उपलब्धि के लिए बधाई दी है। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली भारत की ISR क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से मजबूत करेगी और देश को रक्षा क्षेत्र में तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे ले जाएगी।

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