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वॉशिंगटन3 घंटे पहले
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आयोवा में ट्रम्प ने जीत हासिल की थी। हालांकि, हैम्पशायर में निक्की चौंका सकती हैं।
अमेरिका में इस साल नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। इसके पहले दोनों पार्टियां यानी रिपब्लिकन और डेमोक्रेट इस इलेक्शन के लिए अपने-अपने कैंडिडेट फाइनल करने में जुटी हैं।
प्रेसिडेंट इलेक्शन 2024 के लिए न्यू हैम्पशायर में आज पहला प्राइमरी इलेक्शन है। यहां पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का मुकाबला नॉर्थ कैरोलिना की पूर्व गवर्नर निक्की हेली से होगा। निक्की भारतीय मूल की हैं और युवाओं में ट्रम्प के बराबर ही लोकप्रिय हैं। एबीसी न्यूज के एक हालिया सर्वे के मुताबिक- 52% रिपब्लिकन ट्रम्प के फेवर में हैं। निक्की के फेवर में 31% लोग हैं।
सिर्फ निक्की ही दे सकती हैं ट्रम्प को चैलेंज
- रिपब्लिकन पार्टी में ट्रम्प को चुनौती देने वाले रॉन डी सेंटिस और विवेक रामास्वामी पहले ही खुद को रेस से अलग कर चुके हैं। विवेक ने तो एक बयान में साफ तौर पर कहा कि निक्की को भी ट्रम्प के समर्थन में नाम वापस ले लेना चाहिए। हालांकि, निक्की ने अब तक ऐसे संकेत भी नहीं दिए हैं।
- निक्की का कहना है कि ट्रम्प काफी उम्रदराज हो चुके हैं और अब उन्हें प्रेसिडेंट बाइडेन की तरह भूलने की बीमारी हो रही है। दूसरी तरफ, ट्रम्प कहते हैं कि निक्की में प्रेसिडेंट जैसे ओहदे पर पहुंचने की काबिलियत नहीं है। वो ये भी कहते हैं कि निक्की को उन्होंने UN में अमेरिकी एंबेसडर बनाया था, लेकिन वो नाकाम रहीं और उन्हें बाद में इस्तीफा देना पड़ा।
- रिपब्लिक पार्टी के सीनेटर नियोम डेविस ने यूएसए टुडे से कहा- ट्रम्प लोकप्रिय हैं, इसमें कोई दो राय नहीं। लेकिन, मैं ये भी मानता हूं कि निक्की ही उन्हें असली चुनौती दे सकती हैं। वो फायरब्रांड और बहुत एनर्जी वाली लीडर हैं।

हैम्पशायर के बाद नेवादा में प्राइमरी इलेक्शन होगा। हालांकि, अगर निक्की नाम वापस लेतीं है तो ट्रम्प की उम्मीदवारी पर मुहर लग जाएगी।
आयोवा कॉकस में ट्रम्प की जीत
- रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से पहला कॉकस आयोवा राज्य में हुआ था। यहां ट्रम्प ने एकतरफा जीत हासिल की थी। न्यू हैम्पशायर में प्राइमरी इलेक्शन है। ये जरूरी है कि इन प्राइमरी और कॉकस में फर्क समझ लिया जाए। हालांकि, दोनों का मकसद प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट चुनना ही होता है।
- दरअसल, प्राइमरी इलेक्शन को राज्य सरकार ऑर्गनाइज करती है। वहीं, कॉकस पार्टी का अपना इवेंट होता है। प्राइमरी इलेक्शन में बिल्कुल वही वोटिंग प्रोसेस होता है, जो मेन इलेक्शन में अपनाया जाता है। जबकि, कॉकस में एक रूम या हॉल में बैठकर पार्टी के प्रतिनिधी हाथ उठाकर या पर्ची डालकर वोटिंग कर सकते हैं। पार्टी की ही एक टीम ऑब्जर्वर की तरह काम करती है। लिहाजा, धांधली नहीं होती।
- आयोवा में ट्रम्प को 20 जबकि निक्की को 8 वोट मिले थे। नाम वापस ले चुके रॉन डी सेंटिस को 9 वोट मिले थे। न्यू हैम्पशायर के बाद अगर निक्की चाहें तो वो भी रेस छोड़ सकती हैं और ऐसे में ट्रम्प ही रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट होंगे। अगर, निक्की नाम वापस नहीं लेतीं तो बाकी 48 राज्यों में प्राइमरी या कॉकस की वोटिंग जून तक चलती रहेगी। इस बीच, अगर ट्रम्प या निक्की में से जिस किसी को 1215 डेलिगेट्स (प्रस्तावक) के वोट पहले मिल गए, वो पार्टी का ऑफिशियल प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट होगा।

निक्की कहती हैं कि सरकार में किसी भी बड़े पद पर काबिज 75 साल से ज्यादा उम्र के नेता का मेंटल एबिलिटी टेस्ट होना चाहिए। उनके निशाने पर ट्रम्प और बाइडेन दोनों हैं। इसी वजह से युवाओं में उनकी पॉबुलैरिटी का ग्राफ बढ़ रहा है। (फाइल)
ट्रम्प का कनफ्यूजन
- 19 जनवरी को ट्रम्प ने न्यू हैम्पशायर में रैली की थी। इस दौरान वो निक्की और संसद की पूर्व स्पीकर नैंसी पेलोसी में कनफ्यूज हो गए थे। उन्होंने पेलोसी को निक्की समझकर उन पर आरोप लगाया था कि वो 6 जनवरी 2021 को संसद में हुई हिंसा को ठीक से संभाल नहीं पाईं। इस दौरान उन्होंने कई बार पेलोसी की जगह हेली का नाम लिया।
- इस पर निक्की ने कहा था- मैं उनको बेइज्जत नहीं करना चाहती, लेकिन राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारियों और उसके प्रेशर के बीच में हम ऐसे किसी व्यक्ति की मानसिक हालत को लेकर रिस्क नहीं ले सकते। दुनिया में तेजी से बदलाव हो रहे हैं और हम अटके हुए हैं। हमें यह सोचने की जरूरत है कि क्या अमेरिका को फिर से 2 ऐसे राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार चाहिए जो 80 साल के हैं। हमें ऐसे लोगों की जरूरत है जो बेहद एक्टिव हों।
- ट्रम्प ने निक्की हेली के नाम को लेकर भी मजाक बनाया था। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लगातार निक्की को निंब्रा और निम्रदा कहकर संबोधित किया। इस पर उनकी काफी आलोचना भी हुई। दरअसल, निक्की हेली का पूरा नाम निम्रता निक्की रंधावा है।
- हेली इससे पहले भी नेताओं की मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सवाल उठा चुकी हैं। निक्की के मुताबिक, सरकार में किसी भी बड़े पद पर काबिज 75 साल से ज्यादा उम्र के नेता का मेंटल एबिलिटी टेस्ट (तकनीकि भाषा में मेंटल कॉम्पिटेंसी टेस्ट) जरूरी होना चाहिए।

रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से पहला कॉकस आयोवा राज्य में हुआ था। यहां ट्रम्प ने एकतरफा जीत हासिल की थी। न्यू हैम्पशायर में प्राइमरी इलेक्शन है। (फाइल)
हमें बूढ़ा राष्ट्रपति उम्मीदवार नहीं चाहिए
- निक्की ने 20 जनवरी को एक रैली में कहा था- ट्रम्प राष्ट्रपति बनने के लिए मानसिक तौर पर स्वस्थ नहीं हैं। वो कई बार चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तारीफ कर चुके हैं। चीन वो देश है, जिससे हमें कोविड मिला। मैंने ट्रम्प की तुलना में चीन और रूस को लेकर ज्यादा सख्त रुख अपनाया है।
- निक्की को पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन का करीबी माना जाता है। हिलेरी ही उन्हें सियासत में लाई थीं। राजनीति में आने से पहले निक्की कॉर्पोरेट वर्ल्ड में नाम कमा चुकी थीं। परिवार की कंपनियां चलाने के बाद 1998 में ओरेंजबर्ग काउंटी चेंबर ऑफ कॉमर्स के निदेशक मंडल में शामिल हुईं।
- 2004 में नेशनल एसोसिएशन ऑफ वुमेन बिजनेस ऑनर की अध्यक्ष बनीं। सामाजिक कार्यों में शामिल होने लगीं। इसी से राजनीति में आने का रास्ता बना। 2004 में निक्की साउथ कैरोलिना की स्टेट रिप्रेजेंटेटिव के तौर पर चुनी गईं। 2006 के चुनाव में उन्हें निर्विरोध जीत हासिल हुई। 2008 में तीसरी बार निक्की ने ये पद संभाला। निक्की 2010 और 2014 में साउथ कैरोलिना की गवर्नर बनीं। अमेरिका में सबसे युवा (37 साल) गवर्नर बनने का रिकॉर्ड भी उनके नाम है।
- 2017 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने उन्हें UN में बतौर अमेरिकी ऐंबैस्डर के तौर पर नियुक्त किया। दिसंबर 2018 में निक्की ने पद से इस्तीफा दे दिया। UN में राजदूत और दक्षिण कैरोलिना की गवर्नर रह चुकीं निक्की अमेरिका में ही 1972 में जन्मीं थीं। उनका असली नाम निम्रता निक्की रंधावा है। पिता अजीत सिंह रंधावा पत्नी राज कौर के साथ 1960s में PhD करने के लिए अमृतसर से अमेरिका जाकर बस गए थे। निक्की के दो भाई मिट्ठी और सिमी और एक बहन सिमरन है।
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