[ad_1]
काबुल/इस्लामाबादएक घंटा पहले
- कॉपी लिंक
पाकिस्तान में करीब 17 लाख अफगान नागरिक हैं। 31 अक्टूबर तक इनमें से सिर्फ 63 हजार नागरिक ही अफगानिस्तान लौट सके हैं।
पाकिस्तान में रहने वाले अफगान नागरिकों के पाकिस्तान छोड़ने की डेडलाइन 31 अक्टूबर को खत्म हो गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब तक 63 हजार अफगान नागरिक अपने देश वापस जा चुके हैं। पाकिस्तान सरकार के मुताबिक 17 लाख अफगानी पाकिस्तान में रहते हैं और इनमें से ज्यादातर गैरकानूनी तौर पर रह रहे हैं।
अफगानिस्तान की तालिबान हुकूमत और मानवाधिकार संगठनों ने पाकिस्तान के इस कदम का विरोध किया है। तालिबान ने पिछले महीने कहा था कि अगर पाकिस्तान ने एकतरफा कार्रवाई की तो इससे दोनों देशों में तनाव बढ़ेगा।
पाकिस्तान की केयरटेकर गवर्नमेंट ने सितंबर में गैरकानूनी तौर पर मुल्क में रहने वाले अफगान नागरिकों को 31 अक्टूबर तक देश छोड़ने की मोहलत दी थी। बचे हुए लोगों को गिरफ्तार करके अब उन्हें जबरन अफगानिस्तान भेजा जाएगा।

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तोरखम बॉर्डर पर यह नजारा 27 अक्टूबर का है। अनगिनत अफगानी वापस अपने मुल्क का रुख कर रहे हैं।
तीन गुना ज्यादा लोग वापस आ रहे
26 अक्टूबर को न्यूज एजेंसी ‘रॉयटर्स’ से बातचीत में अफगान मंत्री अब्दुल मुतालेब हक्कानी ने कहा था- पाकिस्तान में रहने वाले अफगानी नागरिक मुल्क लौटते रहते हैं, लेकिन अब यह आंकड़ा तीन गुना हो चुका है।
कराची के सोहराब गोथ इलाके में सबसे ज्यादा अफगान बस्तियां हैं। एक ऑपरेटर अजीजुल्लाह ने कहा- पलायन इतने बड़े पैमाने पर हो रहा है कि हमारे पास बसों की कमी हो गई है।

पाकिस्तान की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में नाकाम केयरटेकर गवर्नमेंट ने अफगान नागरिकों पर आरोप लगाया कि वो डॉलर की तस्करी करते हैं। (फाइल)
पाकिस्तान ने ये कदम क्यों उठाया
- सितंबर में पाकिस्तान के अखबार ‘डॉन न्यूज’ ने होम मिनिस्ट्री के हवाले से कहा था- इस साल देश में फिदायीन हमलों की तादाद तेजी से बढ़ी है। ज्यादातर मामलों की जांच में पाया गया कि इनमें अफगान नागरिक शामिल हैं या उन पर शक है।
- हैरानी की बात ये है कि पाकिस्तान की तरफ से एक भी ऐसे फिदायीन हमले का सबूत नहीं दिया गया, जिनमें कोई अफगान नागरिक शामिल हो। अफगानिस्तान की तालिबान हुकूमत ने भी यही बात उठाई थी।
- तालिबान हुकूमत ने पाकिस्तान के इस फैसले को मनमानी और एकतरफा करार देते हुए कहा था- अपनी नाकामियों का ठीकरा पाकिस्तान हम पर फोड़ रहा है। तोरखम और चमन बॉर्डर पर पहले ही हालात तनावपूर्ण हैं। अब यह किस हद तक जाएगा, कहा नहीं जा सकता। इसका जिम्मेदार पाकिस्तान ही होगा।
- पाकिस्तान की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में नाकाम केयरटेकर गवर्नमेंट ने अफगान नागरिकों पर आरोप लगाया कि वो डॉलर की तस्करी करते हैं। इससे पाकिस्तान में महंगाई बढ़ रही है। इन पर हथियार और ड्रग्स तस्करी का भी आरोप लगाया गया।

तालिबान हुकूमत ने पाकिस्तान के इस फैसले को मनमाना और एकतरफा करार देते हुए कहा था- अपनी नाकामियों का ठीकरा पाकिस्तान हम पर फोड़ रहा है। (फाइल)
डेडलाइन खत्म होने के बाद क्या होगा
- पाकिस्तान सरकार ने पहले ही साफ कर दिया था कि गैरकानूनी तौर पर पाकिस्तान में रह रहे अफगानी अगर 31 अक्टूबर तक अपने मुल्क नहीं लौटे तो सख्त कार्रवाई होगी। पाकिस्तान के अखबार ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ के मुताबिक 1 नवंबर से पाकिस्तान सरकार, खुफिया एजेंसियां और फौज दो काम करेगी। पहला- अवैध तौर पर रह रहे अफगानियों की पहचान की जाएगी और इन्हें गिरफ्तार किया जाएगा। दूसरा- इन लोगों को अफगान बॉर्डर पर बने टेम्परेरी कैम्प्स में रखा जाएगा और फिर जबरन अफगान सीमा में भेज दिया जाएगा।
- पाक-अफगान के बीच तोरखम बॉर्डर पर तैनात एक अफसर ने ‘अरब न्यूज’ से कहा- ये मजबूर अफगानी पुरुष, महिलाएं और बच्चे जानवरों की तरह अलग-अलग गाड़ियों में पाकिस्तान छोड़ रहे हैं। 30 अक्टूबर को कम से कम 10 हजार लोगों ने बॉर्डर क्रॉस किया। इन लोगों को किसी पासपोर्ट या दस्तावेज की जरूरत नहीं है।

पाकिस्तान की होम मिनिस्ट्री के मुताबिक देश में फिदायीन हमले तेजी से बढ़े हैं। ज्यादातर में अफगान नागरिक शामिल हैं या उन पर शक है। (फाइल)
सबसे ज्यादा दिक्कत लड़कियों को
- अफगानिस्तान की तालिबान हुकूमत ने लड़कियों की शिक्षा पर पूरी तरह रोक लगा रखी है। पाकिस्तान ने अफगान लड़कियों की इस मजबूरी पर एक और हमला किया। ‘अरब वर्ल्ड’ की रिपोर्ट के मुताबिक इस्लामाबाद, कराची और मुल्क के दूसरे कुछ शहरों में अफगान बच्चों के स्कूल थे। इन्हें बंद कर दिया गया है।
- 14 साल की एक अफगान बच्ची ने कहा- जब तक हो सकेगा, मैं पाकिस्तान में रहूंगी। यहां पढ़ाई तो कर सकती हूं। अफगानिस्तान में तो ये मुमकिन ही नहीं। मेरे पिता ने मुझसे कहा- अगर पाकिस्तान पुलिस मुझे गिरफ्तार भी कर लेती है तो भी तुम पाकिस्तान से मत जाना। वहां तो जिंदगी नर्क हो जाएगी।

‘अरब वर्ल्ड’ की रिपोर्ट के मुताबिक इस्लामाबाद, कराची और मुल्क के कुछ दूसरे शहरों में अफगान बच्चों के स्कूल थे। इन्हें काफी पहले ही बंद कर दिया गया है। (फाइल)
वर्ल्ड कप में भी महसूस हुआ इस मामले का दर्द
23 अक्टूबर को ICC वनडे वर्ल्ड कप 2023 का एक लीग मैच पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच खेला गया था। पहली बार अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को शिकस्त दी। 87 रन बनाने वाले ओपनर इब्राहिम जादरान ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ बने।
अवॉर्ड लेने के बाद इब्राहिम ने कहा- मैं यह अवॉर्ड उन अफगान लोगों के नाम करता हूं, जिन्हें पाकिस्तान से जबरन अफगानिस्तान भेजा जा रहा है। बहरहाल, जादरान के इस बयान के बाद पाकिस्तान में काफी सियासी बवाल हुआ। कई लोगों ने कहा कि इब्राहिम वर्ल्ड कप में जीत को सियासी तौर पर कैश कर रहे हैं।

23 अक्टूबर को वर्ल्ड कप के एक मैच में अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को हराया था। ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ इब्राहिम जादरान ने अवॉर्ड उन अफगान लोगों को समर्पित किया, जिन्हें पाकिस्तान से जबरन निकाला जा रहा है। (फाइल)
[ad_2]
Source link
