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वॉशिंगटन8 घंटे पहले
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चीन के वुहान लैब पर कई रिपोर्ट्स में कोरोना वायरस लीक करने का आरोप है। चीन ने हमेशा इसे नकारा है। (फाइल)
अमेरिका ने चीन की वुहान वायरोलॉजी लैब (WIV) की फंडिंग बंद कर दी है। अमेरिका की हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विस (HHS) ने वुहान लैब की डायरेक्टर जनरल डॉ. वांग को एक लेटर के जरिए अपने फैसले की जानकारी दी है। 10 साल यह फंडिंग बंद रहेगी।
न्यूयॉर्क पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक- इस बात के कई सबूत मौजूद हैं कि कोरोना वायरस वुहान की इस लैब से ही लीक हुआ था। शक ये भी है कि चमगादड़ों पर किए जा रहे किसी टेस्ट के दौरान यह वायरस लीक हुआ था।

महामारी की शुरुआत से ही वुहान लैब से कोरोना लीक होने की कई थ्योरी आ चुकी हैं। (फाइल)
लैब ने नहीं दिया जवाब
अमेरिका ने जुलाई में WIV को दी जाने वाली फंडिंग रोकने का फैसला किया था। इसके पहले वुहान लैब से संपर्क करने की कोशिश की गई थी, लेकिन वहां से कोई जवाब ही नहीं मिला। इसके बाद बाइडेन एड़मिनिस्ट्रेशन ने इस फंडिंग पर 10 साल के लिए रोक लगा दी।
वुहान लैब को जारी लेटर में अमेरिका ने कहा- हमने कुछ सवाल इस लैब को भेजे थे। इस पर लैब की तरफ से कोई माकूल जवाब नहीं मिला। उन्होंने कुछ शर्तों को पूरा नहीं किया और इसकी जिम्मेदारी भी कबूल नहीं की। लैब किसी तरह के सहयोग के लिए भी राजी नजर नहीं आया। लिहाजा, उसकी फंडिंग बंद करने का फैसला लिया गया।

वुहान लैब ने फंडिंग बंद होने के बाद कोई जवाब नहीं दिया था। (फाइल फोटो)
अमेरिकी अधिकारी ने कहा- वुहान लैब से ही फैला कोरोना
कोविड पर अमेरिकी हाउस सेलेक्ट सबकमिटी के चैयरमेन ब्रेड वेनस्ट्रुप ने लेटर की कॉरी जारी की। कहा- खुफिया जानकारी और सबूतों से पता चलता है कि कोविड-19 वुहान लैब में गड़बड़ी की वजह से ही फैला। अगर हम इस तरह के ऑर्गनाइजेशन की फंडिंग जारी रखते हैं तो इससे फ्यूचर में इसी तरह की महामारियां फैलने का खतरा बढ़ जाएगा।
वेनस्ट्रूप ने आगे कहा- हमारी हेल्थ अथॉरिटिज को वुहान लैब के खतरनाक हालात के बारे में जानकारी थी। लैब ने तमाम गलत चीजों और सबूतों को छिपाया। इसके बाद गलत बातें फैलाईं। इन सभी मामलों की बारीकी से जांच होनी चाहिए।
7 साल में 14 लाख डॉलर दिए
रिपोर्ट्स के मुताबिक- अमेरिका ने 2014 से 2021 के बीच नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ और यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट से वुहान लैब को 14 लाख डॉलर (करीब 12 करोड़ रुपए) ज्यादा की फंडिंग की।

चीन और कोरोना के लिंक का खुलासा वैज्ञानिक एंड्रू हफ ने सबसे पहले किया था। वो खुद लंबे वक्त तक इस लैब में काम कर चुके हैं। (फाइल)
वुहान लैब से लीक हुआ वायरस
- करीब तीन साल पहले चीन के वुहान से फैला कोरोना वायरस लैब में बनाया गया था। यह दावा अमेरिकी वैज्ञानिक एंड्रू हफ ने अपनी किताब ‘द ट्रुथ अबाउट वुहान’ में किया था। उनका कहना है कि अमेरिकी सरकार चीन में कोरोना वायरस बनाने के प्रोजेक्ट को फंड कर रही थी। हफ इस लैब में काम भी कर चुके हैं।
- कोरोना महामारी की शुरुआत से ही वुहान लैब से कोरोना लीक होने की कई थ्योरी आ चुकी हैं। यहां काम करने वाले रिसर्चर्स विशेष रूप से कोरोना वायरस की प्रजातियों को स्टडी करते हैं। ऐसे में किसी वैज्ञानिक के जरिए इसका संक्रमण फैलने की आशंका है। हालांकि, हमेशा से ही चीनी सरकार और वुहान लैब ने इन आरोपों को खारिज किया है।
- हफ का कहना है कि चीन को पहले दिन से यह पता था कि कोरोना कोई नेचुरल वायरस नहीं है, बल्कि इसे जेनेटिकली मॉडिफाई कर बनाया गया है। तभी यह लैब से लीक हुआ है। इसके बावजूद सुरक्षा और लोगों को आगाह करने में ढील दी गई। चीन ने न सिर्फ बीमारी के आउटब्रेक के बारे में झूठ बोला, बल्कि उसे प्राकृतिक साबित करने की हर कोशिश की। हैरानी की बात यह है कि अमेरिकी सरकार ने भी दुनिया से झूठ बोला।
- हफ ने 2014 से 2016 तक इको-हेल्थ अलायंस में वाइस प्रेसिडेंट के तौर पर काम किया है। यह कंपनी पिछले 10 सालों से NIH से फंडिंग लेकर चमगादड़ों में मिलने वाले कई तरह के कोरोना वायरस पर रिसर्च कर रही है। हफ का दावा है कि कंपनी और वुहान लैब के गहरे रिश्ते हैं।
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