देसी-पटल

मनोरंजन के साथ जानकारी

China angry on US military aid Taiwan red line | अमेरिका ने ताइवान को दी मदद तो भड़का चीन: कहा- आग से खेल रहे हो, ताइवान हमारी रेड लाइन है


बीजिंग1 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक

चीन ताइवान को अपना ही हिस्सा मानता है। वह ताइवान पर कब्जा करना चाहता है।

अमेरिका और चीन में ताइवान को लेकर लगातार तल्खी बढ़ती जा रहा है। चीन ने रविवार को अमेरिका की तरफ से ताइवान को दिए गए डिफेंस सपोर्ट पैकेज का विरोध करते हुए कहा कि यह करके अमेरिका आग से खेल रहा है। दरअसल शुक्रवार को अमेरिका ने ताइवान के लिए 4.85 हजार करोड़ रुपए के डिफेंस सपोर्ट पैकेज का ऐलान किया था।

इसके अलावा अमेरिका के रक्षा विभाग पेंटागन ने भी शुक्रवार को ताइवान के लिए 2.50 हजार करोड़ के सैन्य बिक्री को मंजूरी दी थी।

चीन का कहना है कि अमेरिका की तरफ से ताइवान को दी गई यह मदद वन चाइना पॉलिसी का खुला उल्लंघन है। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा। चीनी विदेश मंत्रालय ने ताइवान को अपनी रेड लाइन बताया।

इलाके की शांति खतरे में पड़ जाएगी

चीन का कहना है कि अमेरिका को ताइवान को हथियार देने बंद कर देना चाहिए। अमेरिका की हथियार सप्लाई से इस इलाके की शांति और स्थिरता खतरे में पढ़ सकती है। चीनी स्टेट काउंसिल के प्रवक्ता जू फेंगलियान ने भी कहा कि हम अमेरिका की तरफ से ताइवान को किसी भी तरह से हथियार देने का विरोध करते हैं।

दूसरी तरफ ताइवान के विदेश मंत्रालय अमेरिका के फैसले का स्वागत करते हुए सोशल मीडिया पर कहा- अमेरिका सरकार का यह फैसला हमारी सुरक्षा के लिए उसकी प्रतिबद्धता का जाहिर करता है।

जानिए वन चाइना पॉलिसी क्या है?

चीन के मुताबिक दुनिया में सिर्फ एक चीन है और ताइवान उसी का एक हिस्सा है। चीन ताइवान को अलग देश मानकर उससे रिश्ते रखने वाले देशों का विरोध करता है। इसी आधार पर वह दुनियाभर देशों के साथ संबंध बनाता है। भारत भी उन देशों में है जो वन चाइना पॉलिसी का समर्थन करता है।

अमेरिका-चीन के रिश्तों में ताइवान सबसे बड़ा फ्लैश पॉइंट

अमेरिका ने 1979 में चीन के साथ रिश्ते बहाल किए और ताइवान के साथ अपने डिप्लोमैटिक रिश्ते तोड़ लिए। हालांकि, चीन के ऐतराज के बावजूद अमेरिका ताइवान को हथियारों की सप्लाई करता रहा। अमेरिका भी दशकों से वन चाइना पॉलिसी का समर्थन करता है, लेकिन ताइवान के मुद्दे पर अस्पष्ट नीति अपनाता है।

ताइवान पर चीन के कब्जे का डर

1940 के दशक में जब चीन का शासन कम्युनिस्ट पार्टी के हाथ में आया तो बचे हुए राष्ट्रवादी देश छोड़ ताइवान द्वीप पर जा बसे थे। इन राष्ट्रवादियों ने ताइवान में लोकतांत्रिक शासन लागू किया था। चीन ताइवान को अपना ही हिस्सा मानता है। जबकि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश मानता है। चीन इसलिए ताइवान पर कब्जा करना चाहता है।

चीन के प्लेन लगातार ताइवान की सीमा में घुसपैठ करते रहते हैं। चीन ने ताइवान के इलाके में अमेरिकी नौसेना के विमानों की निगरानी के लिए अपने सैन्य विमानों और नौसैनिक जहाजों को तैनात किया है।

————————————

यह खबर भी पढ़ें…

अमेरिकी आईलैंड में ताइवानी राष्ट्रपति के वेलकम से चीन नाराज:कहा- हमारी पूरे मामले पर बारीक नजर, जवाबी कार्रवाई करेंगे

​​​​

ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते एक हफ्ते के पैसिफिक आईलैंड्स के दौरे पर हैं। उन्होंने इसकी शुरुआत अमेरिका के हवाई प्रांत से की, जहां रेड कार्पेट बिछाकर उनका स्वागत किया गया। इसके साथ अमेरिका ने ताइवान को और अधिक हथियार बिक्री के प्रस्ताव को मंजूरी दी। अमेरिका का ये फैसला चीन को नागवार गुजरा है। यहां पढ़ें पूरी खबर…

खबरें और भी हैं…



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *