Brahmos Missile Pakistan China: ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत से चीन पाकिस्तान में खलबली शी जिनपिंग के दुश्मन अमेरिका और ताइवान हो गए खुश

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Brahmos Missile: भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में ब्रह्मोस मिसाइल से पाकिस्तान को सबक सिखाया, जिससे चीन के दुश्मन खुश हो गए हैं. ताइवान ब्रह्मोस मिसाइल की तारीफ कर रहा है.

ब्रह्मोस से भारत ने बजाई पाक की बैंड तो चीन के दुश्मन हो गए खुश, कर रहे तारीफ

ब्रह्मोस मिसाइल की तारीफ कर रहा ताइवान. (Reuters)

हाइलाइट्स

  • भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस मिसाइल से पाकिस्तान को सबक सिखाया
  • ब्रह्मोस मिसाइल की तारीफ ताइवान ने की है
  • भारत की ब्रह्मोस मिसाइल ने चीन की सैन्य कमजोरी को उजागर किया

इस्लामाबाद: भारत ने हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखाया कि न केवल पाकिस्तान बल्कि उसके सहयोगी चीन को भी दर्द हो रहा है. इस ऑपरेशन में भारत की स्वदेशी मिसाइल ब्रह्मोस ने अपनी ताकत दिखाई, जिसकी गूंज अब दुनियाभर में सुनाई दे रही है. खासकर चीन के दुश्मन देश भारत के इस हथियार की तारीफ कर रहे हैं और इसे खरीदने की होड़ में हैं. एशिया में ब्रह्मोस मिसाइल फिलीपींस के पास भी है, जो चीन का एक विरोधी है. अब इस मिसाइल की तारीफ ताइवान में भी हो रही है. साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इसकी तारीफ की है. ताइवान के एक्सपर्ट्स ब्रह्मोस की तारीफ करके चीन पर निशाना साध रहे हैं.

ताइवान के विशेषज्ञों ने ऑपरेशन सिंदूर से पहले ही भारत के स्वदेशी हथियारों की तारीफ की थी. बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक ताइवान की नेशनल चुंग ह्सिंग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. मुमिन चेन ने कहा, ‘भारत के हथियार सस्ते और भरोसेमंद हैं. ब्रह्मोस जैसी मिसाइलें उन देशों के लिए बेहतरीन हैं जो महंगे पश्चिमी हथियार नहीं खरीद सकते.’ उन्होंने कहा कि भारत ने रूस और अमेरिका दोनों से तकनीक लेकर अपनी अनूठी रक्षा प्रणाली बनाई है, जो अब दुनिया भर के डिफेंस बाजार में छा रही है. ब्रह्मोस, भारत और रूस की संयुक्त तकनीक से बनी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है. ऑपरेशन सिंदूर में पहली बार इसकी ताकत दुनिया ने देखी है.

ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस ने मिलकर बनाई है. (Reuters)

डॉ. मुमिन ने कहा, ‘भारत पहले अन्य देशों को हथियार बेचना नहीं चाहता था क्योंकि उसकी विचारधारा अहिंसा और गुटनिरपेक्षता पर आधारित थी. वे मानते थे कि केवल अमेरिका और सोवियत संघ जैसे महाशक्तियां ही मुनाफे के लिए हथियार बेचती हैं. लेकिन हाल ही में यह सोच बदली क्योंकि भारत ने सोचा कि जब हर कोई हथियार बेच रहा है और उसका अपना रक्षा उद्योग है, तो हम भी ऐसा कर सकते हैं.’



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