शिल्पा को संक्रमण का शिकार उस समय पाया गया है जब स्वास्थ्य विशेषज्ञ कोविड मामलों में ताजा उछाल पर बारीकी से नजर रख रहे हैं, खासकर दक्षिण पूर्व एशिया में कोरोना के बढ़ते मामले अलार्मिंग हैं। फिलहाल सिंगापुर एक नया हॉटस्पॉट बनकर उभरा है, यहां एक सप्ताह के भीतर ही संक्रमण के मामलों में 28 फीसदी से अधिक का उछाल देखा गया है। चीन से भी सामने आ रही जानकारियों से पता चलता है कि पिछले एक महीने में यहां भी कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी हुई है।
अब चूंकि शिल्पा शिरोडकर कोविड पॉजिटिव पाई गई हैं, ऐसे में सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि क्या भारत में भी संक्रमण बढ़ रहा है?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर साझा की गई जानकारियों के मुताबिक फिलहाल देश में कोरोना के 257 एक्टिव केस हैं। महामारी की शुरुआत से अब तक 45 करोड़ से अधिक लोग संक्रमण का शिकार हुए हैं, जिसमें से 5.33 लाख से अधिक लोगों की मौत हो गई है। कोरोना से बचाव के लिए अब तक 220 करोड़ (दो-तीन डोज सहित) लोगों का टीकाकरण हो चुका है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, चूंकि कई एशियाई देश इन दिनों फिर से कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर अलर्ट पर हैं, ऐसे में भारत में भी विशेष निगरानी रखी जा रही है। हालांकि यहां संक्रमण के मामलों में विशेष उछाल की खबर नहीं है। समय के साथ लोगों के शरीर में वैक्सीनेशन से बनी प्रतिरक्षा कमजोर हो रही है और वायरस लगातार हम लोगों के बीच है, इसलिए फिर से इसके बढ़ने की खबरें आ रही हैं।
सिंगापुर-हांगकांग में बढ़ते मामलों की रिपोर्ट पर नजर डालें तो पता चलता है कि यहां मुख्यरूप से LP.8.1 वैरिएंट के कारण लोग संक्रमित हो रहे हैं, ये ओमिक्रॉन का ही एक रूप है। ओमिक्रॉन और इसके कई सब-वैरिएंट्स ही पिछले दो साल से दुनियाभर में फैलते रहे हैं।
यूएस स्थित नेबरास्क मेडिसिन में संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ मार्क.ई.रप बताते हैं ताजा मामलों में उछाल के लिए किसी नए वैरिएंट को जिम्मेदार नहीं पाया गया है। ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट्स ही अलग-अलग देशों में संक्रमण के मामलों के लिए जिम्मेदार माने जा रहे हैं।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि LP.8.1 के साथ वर्तमान में, LF.7 और NB.1.8 (दोनों JN.1 वैरिएंट का म्यूटेटेड स्वरूप) को प्रमुखता के साथ देखा जा रहा है जो दो-तिहाई से अधिक के लिए जिम्मेदार हैं। ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट JN.1 को ही ध्यान में रखते हुए कोविड के अपडेटेड वैक्सीन बनाए जा रहे हैं जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली को फिर से बूस्ट करके लोगों को अतिरिक्त सुरक्षा दी जा सके।
मेडिकल रिपोर्ट्स से पता चलता है कि एशियाई देशों में संक्रमण में वृद्धि के साथ अस्पताल में भर्ती होने वालों के मामले भी बढ़े हैं। गंभीर स्थिति में लोगों की मौत भी हो रही है। इसको देखते हुए विशेषज्ञों ने सभी लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है, लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं। संक्रमित होने वाले अधिकतर लोग वो हैं जो या तो कोमोरबिडिटी के शिकार हैं या फिर 65 वर्ष से अधिक उम्र के हैं।