Bank unions’ letter to CM Fadnavis Mumbai Marathi Language Controversy; Bank Manager | MNS Raj Thackeray | बैंक यूनियंस की सीएम फडणवीस को चिट्ठी: MNS कार्यकर्ताओं के बैंककर्मियों पर हमलों के बाद सुरक्षा देने की अपील; मराठी न बोलने पर विवाद

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मुंबईकुछ ही क्षण पहले

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महाराष्ट्र में बैंककर्मियों ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने की अपील की। राज्य भर के बैंकों में कर्मचारियों पर हमले की कई घटनाओं के बाद बैंक यूनियन ने सीएम को चिट्ठी लिखी है।

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने चिट्ठी में लिखा राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कार्यकर्ता बैंकों में आकर कर्मचारियों को धमका रहे हैं। कार्यकर्ता बैंक के सभी डिस्प्ले बोर्ड मराठी में लगवाने और कर्मचारियों से सिर्फ मराठी बोलने के लिए दबाव बनाते हैं। चिट्ठी में उन पर हुए हमलों का भी जिक्र है।

2 अप्रैल को मुंबई में MNS कार्यकर्ताओं ने एक बैंक में घुसकर मैनेजर पर मराठी में ही बात करने का दबाव बनाया था। कार्यकर्ताओं ने मैनेजर पर आरोप लगाया कि वह ग्राहकों से बातचीत करते समय मराठी में बात नहीं कर रहा है। इस झड़प का वीडियो वायरल हो रहा है।

वीडियो में कार्यकर्ताओं को कह रहे हैं कि यहां नौकरी करनी है, तो मराठी सीखनी होगी। इस पर मैनेजर ने कहा कि किसी से भी स्थानीय भाषा तुरंत सीखने की उम्मीद नहीं की जा सकती। इसमें समय लगता है।

MNS कार्यकर्ताओं के हमले की 2 तस्वीरें…

MNS कार्यकर्ता और बैंक मैनेजर के झड़प का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है।

MNS कार्यकर्ता और बैंक मैनेजर के झड़प का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है।

मुंबई में काम करने वाले एक सुरक्षा गार्ड की MNS कार्यकर्ताओं ने मराठी न बोल पाने के कारण पिटाई कर दिया था।

मुंबई में काम करने वाले एक सुरक्षा गार्ड की MNS कार्यकर्ताओं ने मराठी न बोल पाने के कारण पिटाई कर दिया था।

MNS कार्यकर्ताओं ने बैंककर्मियों को फूल और पत्थर दिए MNS कार्यकर्ता 1 अप्रैल को यस बैंक में गए थे। यहां उन्होंने बैंक कर्मचारियों को फूल और पत्थर सौंपे। यह चेतावनी देने का संकेत था। पार्टी ने घोषणा की थी कि 1 अप्रैल से सभी बैंकों में इसी तरह के प्रदर्शन किए जाएंगे।

हालिया भाषा विवाद राज ठाकरे के गुड़ी पड़वा रैली में दिए भाषण के बाद आया है। उन्होंने मराठी को अनिवार्य करने की मांग की थी।

हालिया भाषा विवाद राज ठाकरे के गुड़ी पड़वा रैली में दिए भाषण के बाद आया है। उन्होंने मराठी को अनिवार्य करने की मांग की थी।

MNS ने पहले भी किए है विरोध प्रदर्शन 2006 में राज ठाकरे ने शिवसेना से अलग होकर पार्टी बनाई थी, तो उनका एक प्रमुख एजेंडा ‘मराठी मानुष’ (मराठी लोग) के अधिकारों की वकालत करना था।

शुरुआती अभियानों में दुकानदारों पर मराठी में अपना नाम लिखने के लिए दबाव बनाया था। जिसके कारण हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए और पार्टी कार्यकर्ताओं के खिलाफ कानूनी मामले दर्ज किए गए।

2007-08 में, MNS कार्यकर्ताओं ने रेलवे भर्ती परीक्षा के लिए मुंबई आए उत्तर प्रदेश और बिहार के उम्मीदवारों पर हमला किया था। उनका तर्क था कि महाराष्ट्र में नौकरियों में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इन घटनाओं से पूरे देश में आक्रोश फैल गया और सभी दलों के नेताओं ने MNS की हरकतों की निंदा की।

MNS ने मल्टीप्लेक्स पर मराठी फिल्मों के लिए स्क्रीन आवंटित करने का दबाव बनाया है। पार्टी ने चेतावनी दी है कि अगर मराठी सिनेमा को दरकिनार किया गया तो इसके परिणाम भुगतने होंगे।

मुंबई में MNS ने बोर्ड लगाएं हैं, इसमें लिखा कि औरंगजेब, जो हम मराठों को समाप्त करने आया था, उसे हमने यहीं दफना दिया।

मुंबई में MNS ने बोर्ड लगाएं हैं, इसमें लिखा कि औरंगजेब, जो हम मराठों को समाप्त करने आया था, उसे हमने यहीं दफना दिया।

मराठी वोट बैंक बड़ा फैक्टर MNS को राजनीतिक पकड़ बनाए रखने में संघर्ष करना पड़ा है। 2009 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में, पार्टी ने 13 सीटें जीतीं, जिसका मुख्य रूप से मराठी मतदाताओं ने समर्थन किया।

हालांकि, बाद के चुनावों में भाजपा और शिवसेना के विभिन्न गुटों जैसे प्रतिद्वंद्वी दलों के बढ़ते प्रभाव के कारण इसके वोट शेयर में गिरावट आई थी।

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