Ayushman Bhav program to reach 7 crore families and 35 crore population | 35 करोड़ कार्ड बनाने का लक्ष्य; 17 सितंबर से लगेंगे आयुष्मान मेले

नई दिल्लीएक घंटा पहलेलेखक: मुकेश कौशिक

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2018 में केंद्र सरकार ने 10.74 करोड़ ऐसे परिवार यानी करीब 50 करोड़ लोग चिह्नित किए थे, जिन्हें आयुष्मान योजना के दायरे में लाना था।

केंद्र सरकार मिशन 2024 से पहले आयुष्मान भव अभियान के जरिए 7 करोड़ नए परिवारों तक पहुंचने की तैयारी में है। एक परिवार में औसत पांच सदस्यों को मानते हुए करीब 35 करोड़ नए लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाने का लक्ष्य है। 2018 में केंद्र सरकार ने 10.74 करोड़ ऐसे परिवार यानी करीब 50 करोड़ लोग चिह्नित किए थे, जिन्हें आयुष्मान योजना के दायरे में लाना था।

अब लाभार्थियों की संख्या में उन लोगों को भी जोड़ना तय हुआ, जो 2011 के बाद नई जनगणना नहीं होने से कहीं दर्ज नहीं हैं। ऐसे दो करोड़ परिवार यानी करीब 10 करोड़ लोग हैं। केंद्र सरकार अब तक करीब 25 करोड़ आयुष्मान कार्ड जारी कर चुकी है। सरकार 2 अक्टूबर तक आयुष्मान लाभार्थियों का कुल आंकड़ा बढ़ाकर 60 करोड़ करना चाहती है।

स्वास्थ्य मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि नए लाभार्थियों में कचरा उठाने वाले, भिखारी, घरेलू नौकर, ट्रांसपोर्ट वर्कर, हेल्पर, पेंटर, मिस्त्री भी शामिल होंगे।

13 से आयुष्मान भव: स्वास्थ्य मेले लगेंगे, कार्ड भी बनेंगे
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 13 सितंबर से आयुष्मान भव अभियान शुरू करेंगी। इसका लक्ष्य अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य योजनाओं की पहुंच सुनिश्चित करना है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया के अनुसार, 17 सितंबर को प्रधानमंत्री के जन्मदिन से सेवा पखवाड़ा शुरू होगा। इसमें स्वास्थ्य मेले लगेंगे। आयुष्मान कार्ड भी बनाए जाएंगे।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 13 सितंबर को आयुष्मान भव एप्लिकेशन भी लॉन्च करेंगी।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 13 सितंबर को आयुष्मान भव एप्लिकेशन भी लॉन्च करेंगी।

आयुष्मान मेलों में मध्यम वर्ग का भी फ्री इलाज
अभियान के तहत 17 सितंबर से 2 अक्टूबर के बीच आयुष्मान योजना से जुड़े सभी 1.17 लाख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर आयुष्मान मेले लगेंगे। इसमें गरीब के साथ मध्यम वर्ग का भी फ्री इलाज होगा। पात्रों के तुरंत कार्ड बनाए जाएंगे। सभी ब्लॉक अस्पतालों और मेडिकल कालेजों में भी ऐसे कैंप लगेंगे।

A टू Z: किसे मिलेगा लाभ, कैसे चुनेंगे परिवार

ग्रामीण: इन परिवारों की पहचान के 5 आधार, संख्या 16 लाख।

1 बिना शेल्टर वाले घर
2 ऐसे बेसहारा परिवार जो भीख या दान पर निर्भर
3 सिर पर मैला ढोने वाले परिवार
4 पुरातन जनजातीय समूह
5 कानूनी ढंग से छुड़ाए गए बंधक मजदूर

शहरी: कई कैटेगरी में इनकी पहचान हुई। संख्या 2.55 करोड़।

वर्ग संख्या
कचरा उठाने वाले 23,825
भिखारी 47,371
घरेलू नौकर 6,85,352
फुटपाथी, दुकानदार, हॉकर 8,64,659
भवन निर्माण मजदूर, प्लंबर, मिस्त्री, पेंटर, वेल्डर, सिक्योरिटी गार्ड, कुली, माल ढुलाई वाले 1,02,35435
स्वीपर, सैनिटेशन वर्कर, माली 60,6446
घरों में काम करने वाले वर्कर, दस्तकार, शिल्पकार, टेलर 27,58194
ट्रांसपोर्ट वर्कर, ड्राइवर, कंडक्टर, हेल्पर, कार्ट और रिक्शा पुलर 27,72,310
दुकानों के वर्कर, सहायक, चपरासी, हेल्पर, डिलीवरी सहायक, वेटर 36,93,042
इलेक्ट्रीशियन, मैकेनिक, एसेंबलर, रिपेयर वर्कर 11,99,262
वाॅशरमैन, चौकीदार 4,60,433
अन्य 22 लाख

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