Indo-Pacific Army Chiefs Conference; General Manoj Pandey | Pacific Ocean | थल सेना प्रमुख बोले- प्रशांत क्षेत्र में कुछ चुनौतियां, हम शांति से समाधान के पक्ष में

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नई दिल्ली21 मिनट पहले

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नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में आयोजित इंडो-पैसिफिक आर्मी चीफ्स कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे।

इंडो-पैसिफिक आर्मी चीफ्स कॉन्फ्रेंस का 13वां सम्मेलन नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में आयोजित किया जा रहा है। तीन दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन की शुरुआत 25 सितंबर से हुई थी और यह 27 सितंबर को खत्म होगा।

इस सम्मेलन में दुनियाभर के 22 सेना प्रमुख हिस्सा ले रहे हैं। भारतीय सेना प्रमुख, जनरल मनोज पांडे ने सोमवार को जापान, अमेरिका, वियतनाम, केन्या और ऑस्ट्रेलिया के सेना प्रमुखों से व्यक्तिगत मुलाकात की।

प्रशांत महासागर में चीन के आक्रामक रवैये को देखते हुए मंगलवार को मनोज पांडे ने कहा, भारत सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने पर जोर देता है।

यूएस आर्मी के चीफ ऑफ स्टॉफ रैंडी जॉर्ज से मुलाकात करते हुए जनरल मनोज पांडे।

यूएस आर्मी के चीफ ऑफ स्टॉफ रैंडी जॉर्ज से मुलाकात करते हुए जनरल मनोज पांडे।

जनरल मनोज पांडे ने जापान के सेना प्रमुख जनरल मोरीशिता यासुनोरी से मुलाकात की।

जनरल मनोज पांडे ने जापान के सेना प्रमुख जनरल मोरीशिता यासुनोरी से मुलाकात की।

ऑस्ट्रेलियाई सेना प्रमुख सिमन स्टुअर्ट से मुलाकात करते हुए जनरल मनोज पांडे।

ऑस्ट्रेलियाई सेना प्रमुख सिमन स्टुअर्ट से मुलाकात करते हुए जनरल मनोज पांडे।

मनोज पांडे बोले- हम शांतिपूर्ण समाधान पर जोर देते हैं
एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए जनरल पांडे ने यह भी कहा कि, इंडो-पैसिफिक के लिए भारत हमेशा शांतिपूर्ण समाधान पर जोर देता है। हम बल प्रयोग से बचने और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के पालन पर जोर देते हैं।

सेना प्रमुख ने कहा, इतने प्रयासों के बावजूद हम इंटरस्टेट डिस्प्यूट और देशों के बीच एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ देख रहे हैं। जिन चुनौतियों का हम सामना कर रहे हैं वे सीमाओं से परे हैं और उनके प्रति हमारी प्रतिक्रिया को इसमें शामिल किया जाना चाहिए।

रक्षा मंत्री बोले – नेबरहुड फर्स्ट हमारी संस्कृति
सम्मेलन में हिस्सा लेने आए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘नेबरहुड फर्स्ट’, प्राचीन काल से ही हमारी संस्कृति की आधारशिला रही है। भारत का दृष्टिकोण इस क्षेत्र को इसकी ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ द्वारा परिभाषित किया गया है।

मित्र देशों के साथ मजबूत सैन्य साझेदारी बनाने की दिशा में भारत के प्रयास न केवल हमारे अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने बल्कि हम सभी के सामने आने वाली महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

सम्मेलन में हिस्सा लेने आए दूसरे देशों के सेना प्रमुखों ने क्या कहा…

इंडो पैसिफिक सेनाओं के प्रमुखों के सम्मेलन में अमेरिकी सेना प्रमुख जनरल रैंडी जॉर्ज ने कहा, हम सभी जानते हैं कि युद्ध का तरीका बदल रहा है और हम इस बारे में बात करते हैं कि अपने पेशे को कैसे मजबूत किया जाए।

इस सम्मेलन में हिस्सा लेने आए कनाडा के उप सेना प्रमुख मेजर जनरल पीटर स्कॉट ने ट्रुडो के बयान पर भी बात की। उन्होंने कहा, मैं प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बयान से अवगत हूं। सरकार का रुख, भारत के साथ जांच में भाग लेने और सहयोग करने का अनुरोध लेकिन वास्तव में यहां इंडो-पैसिफिक सम्मेलन में उस मुद्दे को हम पर इसका प्रभाव नहीं पड़ा। सही मायने में हम सेना से लेकर सेना तक संबंध बनाने के लिए यहां पर मौजूद हैं और हम अपनी-अपनी सरकारों(भारत-कनाडा) को उस मुद्दे से स्वयं निपटने देंगे।

भारत और अमेरिका की सेनाएं मिलकर कर रहीं होस्ट
इंडो-पैसिफिक आर्मी चीफ्स कॉन्फ्रेंस का आयोजन भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका की सेनाएं मिलकर कर रही हैं। सेना और नेवी की यह दुनिया की सबसे बड़ी कांफ्रेंस होती है।

इस कांफ्रेंस का मकसद आपसी समझ, संवाद और मित्रता के माध्यम से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना है। इस साल के सम्मेलन का विषय “शांति के लिए एक साथ: भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखना” है।

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