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नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इसरो ने ‘x’ पर पोस्ट कर जानकारी दी कि चंद्रयान-3 का प्रोपल्शन मॉड्यूल अपने मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद पृथ्वी की कक्षा में लौट गया है। यह भारत की न केवल नए मिशन को लॉन्च करने की बल्कि उन्हें वापस लाने की क्षमता के मामले में भी बड़ी उपलब्धि है। विक्रम लैंडर की चंद्रमा पर एक सतह से दूसरी सतह तक ले जाने के प्रयोग के बाद यह इसरो की एक और उपलब्धि है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बताया कि चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को चंद्रमा के एक कक्ष से पृथ्वी के एक कक्षा लाया गया। अंतरिक्ष यान को 14 जुलाई 2023 को SDSC, SHAR से VM3-M4 वाहन पर लॉन्च किया गया था। 23 अगस्त को विक्रम लैंडर ने चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की थी।
Chandrayaan-3 Mission:
Ch-3’s Propulsion Module (PM) takes a successful detour!
In another unique experiment, the PM is brought from Lunar orbit to Earth’s orbit.
An orbit-raising maneuver and a Trans-Earth injection maneuver placed PM in an Earth-bound orbit.… pic.twitter.com/qGNBhXrwff
— ISRO (@isro) December 5, 2023
तीन महीने तक एक्टिव रखने की योजना
इसरो की ओर से जारी बयान में कहा गया कि एजेंसी का मुख्य लक्ष्य पहले लैंडर मॉड्यूल को प्रॉपल्शन मॉड्यूल से अलग कर के चांद की अंतिम कक्षा में स्थापित करना था। इनके अलग होने के बाद प्रॉपल्शन मॉड्यूल का स्पेक्ट्रो-पोलरीमेट्री हैबिटेबल प्लैनेट अर्थ (SHAPE) पेलोड को सक्रिय कर दिया गया। योजना के मुताबिक, पहले इस पेलोड को प्रोपल्शन मॉड्यूल में तीन महीने तक एक्टिव रखने की योजना थी।
मौजूदा समय में प्रोपल्शन मॉड्यूल पृथ्वी के चक्कर लगा रहा है। इसने 22 नवंबर को 1.54 लाख किमी की दूरी पर स्थित पहली पेरिजी को पार कर लिया था। इसरो ने बताया कि इस कक्षा में रहने की अवधि 13 दिन की है।
क्या फायदा होगा?
इसरो ने बताया कि प्रोपल्शन मॉड्यूल को चांद की कक्षा से वापस लाने के प्रयोग का मुख्य फायदा आगामी मिशन्स की योजना तैयार करने के दौरान होगा। खासकर मिशन को चांद से वापस पृथ्वी तक लाने में। फिलहाल मॉड्यूल के लिए सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है, जो कि शुरुआती स्टेज में है।
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