Israel Reacts To India UN Vote On Hamast Benjamin Netanyahu statement – International news in Hindi

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इजरायली सरकार ने 27 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा में रखे प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहने के भारत के फैसले पर टिप्पणी की है। जॉर्डन द्वारा प्रस्तावित प्रस्ताव में इजरायल और हमास के बीच तत्काल मानवीय संघर्ष विराम का आह्वान किया गया था, लेकिन इसमें हमास का उल्लेख नहीं किया गया था। इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि कोई भी सभ्य देश जिसमें भारत भी शामिल है, इस तरह की बर्बरता को बर्दाश्त नहीं करेगा।

इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने 27 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र में लाए गए प्रस्ताव को गंभीर त्रुटिपूर्ण करार दिया है। जॉर्डन की ओर से रखे गए इस प्रस्ताव पर भारत समेत कई देशों ने वोटिंग से किनारा किया था। इस पर इजरायली सरकार ने अफसोस जाहिर किया है।

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संयुक्त राष्ट्र में मतदान में भारत के मतदान से दूरी करने के बारे में पूछे जाने पर नेतन्याहू ने कहा कि मुझे अफसोस है कि भारत समेत कई मित्र देशों ने हमास के हमलों की निंदा नहीं की। नेतन्याहू ने कहा, “मुझे लगता है कि उस प्रस्ताव में गहरी खामियां थीं और मुझे यह कहते हुए खेद है कि हमारे कई मित्रों ने भी इस पर कुछ नहीं कहा। इस बात पर ज़ोर देना चाहिए कि इजरायल में जो भयावहताएं घटित हुई हैं उनमें कोई खामी हो सकती है या कोई सशक्त निंदा हो सकती है। कोई भी सभ्य देश इसे बर्दाश्त नहीं करेगा।

नेतन्याहू ने आगे कहा कि मुझे आशा है हम इस प्रकार के किसी भी संकल्प की पुनरावृत्ति नहीं देखेंगे।” नेतन्याहू ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि इजरायल युद्धविराम के लिए सहमत नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इजरायल और हमास के बीच युद्धविराम वाला प्रस्ताव हमारे लिए आत्मसमर्पण करने जैसा है, जिसे हम कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। 

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नेतन्याहू ने कहा, “मैं युद्धविराम के संबंध में इजरायल की स्थिति स्पष्ट करना चाहता हूं। जिस तरह पर्ल हार्बर पर 7 अक्टूबर को हुई बमबारी के बाद या 9/11 के आतंकवादी हमलों के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका युद्धविराम के लिए सहमत नहीं होगा। इजराइल भी इसी रुख पर कायम रहेगा।

गौरतलब है कि इजरायल और हमास के बीच युद्ध को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासभा में जॉर्डन ने एक प्रस्ताव रखा था। इसमें युद्ध विराम का आह्वान किया गया था। हालांकि प्रस्ताव में फिलिस्तीनी संगठन ‘हमास’ और ‘बंधक’ शब्द का जिक्र नहीं था। इजरायल इसी बात पर अपना विरोध जता रहा है। इस प्रस्ताव के पक्ष में 120 वोट पड़े और 14 देशों ने इसके विरोध में मतदान किया। जबकि भारत समेत कई देशों ने इससे दूरी बना ली थी।

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