Saddam Hussein Daughter Party Case | Iraq Baghdad Court | पिता की प्रतिबंधित पार्टी को प्रमोट करने का आरोप; इराक के इस तानाशाह को अमेरिका ने दी थी फांसी

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एक घंटा पहले

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रगद फिलहाल जॉर्डन में अपनी बहन राना के साथ रहती हैं।

इराक के पूर्व राष्ट्रपति और तानाशाह सद्दाम हुसैन की बड़ी बेटी रगद हुसैन को बगदाद कोर्ट ने 7 साल जेल की सजा सुनाई है। उन पर अपने पिता की प्रतिबंधित बाथ पार्टी को प्रमोट करने के आरोप थे।

2003 में अमेरिका और ब्रिटेन ने इराक पर हमला कर सद्दाम को गिरफ्तार कर लिया था और फांसी दी थी। इसी के साथ इराक में सद्दाम शासन का खात्मा हुआ था, जिसके बाद उसकी पार्टी को भंग कर दिया गया और उस पर प्रतिबंध लगा दिए गए थे।

AFP के मुताबिक, सद्दाम हुसैन की बेटी रगद ने 2021 में एक इंटरव्यू दिया था। इसमें उसने बाथ पार्टी को प्रमोट करते हुए उसकी उपलब्धियां गिनाई थीं। दरअसल, इराक में पुरानी सत्ता को बढ़ावा देने वाली एक्टिविटीज बैन हैं। यहां पुरानी सत्ता से जुड़ी तस्वीरें या नारे लगाने वाले किसी भी व्यक्ति पर मुकदमा चलाया जा सकता है।

20 साल की उम्र में ही सद्दाम हुसैन ने बाथ पार्टी की सदस्यता ले ली और क्रांतिकारी बन गए।

20 साल की उम्र में ही सद्दाम हुसैन ने बाथ पार्टी की सदस्यता ले ली और क्रांतिकारी बन गए।

पिता के शासन पर इराक को गर्व था : रगद हुसैन
2021 में अल-अरेबिया को दिए गए इंटरव्यू में रगद ने कहा था- 1979 से 2003 के बीच इराक की हालत बेहद अच्छी थी। कई लोगों ने मुझसे कहा कि हमारे शासन में देश बेशक स्थिर और समृद्ध था। लोगों को गर्व महसूस होता था।

सैकड़ों शियाओं के नरंसहार के लिए 30 दिसंबर 2006 को सद्दाम हुसैन को फांसी दी गई।

सैकड़ों शियाओं के नरंसहार के लिए 30 दिसंबर 2006 को सद्दाम हुसैन को फांसी दी गई।

इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन की कहानी
इराक के तानाशाह राष्ट्रपति रहे सद्दाम हुसैन से एक समय अमेरिकी भी भय खाते थे। सद्दाम की छवि ऐसी थी कि कुछ लोगों के लिए वह मसीहा था, जबकि दुनिया की बड़ी आबादी के लिए वह एक बर्बर तानाशाह था।

सद्दाम अपने दुश्मनों को माफ नहीं करता था। अपनी हत्या की साजिश रचने वालों से बदला लेने के लिए उसने इराक के शहर दुजैल में 1982 में नरसंहार करवाया और 148 शियाओं की हत्या करवा दी थी। इसी मामले में सद्दाम को नवंबर 2006 में मौत की सजा सुनाई गई थी और 30 दिसंबर 2006 को फांसी पर चढ़ा दिया गया था।

सद्दाम का जन्म बगदाद के उत्तर में स्थित तिकरित के एक गांव में 28 अप्रैल 1937 को हुआ था। बगदाद में रहकर उसने कानून की पढ़ाई की। 1957 में सद्दाम ने महज 20 साल की उम्र में बाथ पार्टी की सदस्यता ली थी। ये पार्टी अरब राष्ट्रवाद का अभियान चला रही थी, जो आगे चलकर 1962 में इराक में हुए सैन्य विद्रोह की वजह बना, सद्दाम भी इस विद्रोह का हिस्सा था।

2003 में अमेरिकी सैनिक इराक के तिकरित शहर से सद्दाम हुसैन को पकड़ते हुए।

2003 में अमेरिकी सैनिक इराक के तिकरित शहर से सद्दाम हुसैन को पकड़ते हुए।

इराक की सत्ता पर दो दशक तक रहा सद्दाम का राज
1968 में इराक में हुए एक और सैन्य विद्रोह में सद्दाम ने प्रमुख भूमिका निभाई थी, जिससे उसकी पार्टी सत्ता में आ गई। इस विद्रोह से महज 31 साल की उम्र में सद्दाम ने जनरल अहमद हसन अल-बक्र के साथ मिलकर सत्ता पर कब्जा जमा लिया। इसके बाद सद्दाम तेजी से आगे बढ़ा और 1979 में वह इराक का पांचवां राष्ट्रपति बन गया और जुलाई 1979 से अप्रैल 2003 तक इराक की सत्ता पर काबिज रहा।

सद्दाम की वजह से इराक में ढाई लाख लोग मारे गए
सद्दाम ने सत्ता पर कब्जा जमाने के बाद सबसे पहले शियाओं व कुर्दों के खिलाफ अभियान चलाया। वह अमेरिका का भी विरोध करता था। माना जाता है कि सद्दाम की सिक्योरिटी फोर्सेज ने इराक में करीब ढाई लाख लोगों को मौत के घाट उतारा था। इतना ही नहीं, सद्दाम द्वारा ईरान और कुवैत पर हमलों की वजह से भी हजारों लोग मारे गए।

1982 में दुजैल में 148 शियाओं के नरसंहार को लेकर ही एक इराकी अदालत ने 05 नवंबर 2006 को सद्दाम को दोषी ठहराया था और इसके बाद 30 दिसंबर 2006 में सद्दाम को फांसी पर चढ़ा दिया गया।

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