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Alien Attack on Mars: हाल ही में एक वैज्ञानिक ने मंगल ग्रह पर जीवन को लेकर ऐसा दावा किया है, जिससे पूरी दुनिया के वैज्ञानिक सकते में आ गए हैं. वैज्ञानिक ने दावा किया है मंगल ग्रह पर पहले से सभ्यता मौजूद थी और ए…और पढ़ें
मंगल ग्रह पर हुआ था एलियन का अटैक, वैज्ञानिक ने किया दावा, कितनी है सच्चाई.
Alien Attack on Mars: मंगल ग्रह पर जीवन बसाने की तैयारी काफी सालों से की जा रही है. साथ ही जीवन के साक्ष्य की भी तलाश सालों से चल रही हैं. नासा सहित विश्व की कई अंतरिक्ष एजेंसियां समय-समय पर लाल ग्रह पर जीवन के साक्ष्य को लेकर दावे करते आ रहे हैं. कभी बर्फ के ग्लेशियर तो कभी माइक्रो ऑर्गनिज्म को लेकर दावे किए जा रहे हैं. अब मंगल ग्रह पर जीवन को लेकर नया दावा सामने आया है. एक वैज्ञानिक ने दावा किया है कि मंगल ग्रह पर पहले से जीवन थे, मगर उनके दावों को लेकर कई सवाल भी खड़े किए जा रहे हैं.
प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के भौतिक वैज्ञानिक डॉ. जॉन ब्रैंडेनबर्ग ने एक विवादास्पद सिद्धांत पेश किया है. इसमें उन्होंने कहा है कि मंगल ग्रह पर कभी एक प्राचीन सभ्यता मौजूद थी. लेकिन उसे एलियंस ने परमाणु हमले से पूरी तरह नष्ट कर दिया. यह दावा सुनने में किसी साइंस-फिक्शन फिल्म की कहानी जैसा लगता है, लेकिन ब्रैंडेनबर्ग का कहना है कि उनके पास इसके कुछ वैज्ञानिक आधार भी हैं. इनका दावा सुनते ही वैज्ञानिक समुदाय माथा नोचने लगा है. कई लोगों ने इसे उनकी कोरी कल्पना करार दिया है. चलिए जानते हैं इसका जवाब कैसे दे रहा है.
क्या है डॉ. ब्रैंडेनबर्ग का दावा?
डॉ. ब्रैंडेनबर्ग ने अपनी किताब डेथ ऑन मार्स में इस सिद्धांत को विस्तार से बताया है. उनका कहना है कि मंगल ग्रह के वायुमंडल में जेनॉन-129 नामक आइसोटोप की मौजूदगी इस बात का संकेत देती है कि वहां कभी एक बड़ा परमाणु विस्फोट हुआ था. पृथ्वी पर ऐसे आइसोटोप आमतौर पर परमाणु परीक्षणों के बाद देखे जाते हैं, जैसे कि 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी में हुए विस्फोटों के बाद. ब्रैंडेनबर्ग का तर्क है कि मंगल ग्रह पर भी ऐसा ही कुछ हुआ होगा. इसके लिए उन्होंने एक एलियन सभ्यता को जिम्मेदार ठहराया. उनके मुताबिक, इस हमले ने मंगल की पूरी सभ्यता को खत्म कर दिया. इस ग्रह का लाल रंग भी इसी विनाश का नतीजा है.
ब्रैंडेनबर्ग ने यह भी दावा किया कि मंगल की सतह पर कुछ संरचनाएं, जैसे कि सिडोनिया क्षेत्र में पाया गया ‘चेहरा’ जैसा ढांचा प्राचीन सभ्यता के अवशेष हो सकते हैं. उन्होंने बताया कि यह सभ्यता टेक्नोलॉजीकल रूप से उन्नत थी. मगर, किसी बाहरी एलियन प्रजाति ने इसे नष्ट कर दिया. उन्होंने कहा कि शायद एलियन मंगलवासियों को अपने लिए खतरा मानते होंगे.
वैज्ञानिकों की प्रतिक्रिया
वैज्ञानिकों और नासा ने इस सिद्धांत को सिरे से खारिज कर दिया है. विशेषज्ञों का कहना है कि जेनॉन-129 प्राकृतिक प्रक्रियाओं से भी बन सकता है- जैसे कि रेडियोएक्टिव क्षय या सौर हवाओं का प्रभाव से भी ऐसा संभव है. मंगल का लाल रंग आयरन ऑक्साइड (जंग) की वजह से है, जो ग्रह की सतह पर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, न कि किसी परमाणु विस्फोट की वजह से. नासा ने कहा कि इस सिद्धांत के पक्ष में कोई ठोस सबूत नहीं है और इसे कोरी काल्पना ही मानना चाहिए.
क्यों मायने रखता है यह दावा?
यह दावा भले ही वैज्ञानिक आधार पर कमजोर हो, लेकिन इसने मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना को लेकर लोगों की जिज्ञासा को फिर से हवा दे दी है. नासा के पर्सिवियरेंस रोवर और अन्य मिशन मंगल पर सूक्ष्मजीवी जीवन के निशान तलाश रहे हैं, लेकिन अभी तक किसी उन्नत सभ्यता या परमाणु हमले का कोई सबूत नहीं मिला है. ब्रैंडेनबर्ग जैसे सिद्धांत वैज्ञानिक चर्चा को तो बढ़ाते हैं, लेकिन बिना पुख्ता सबूतों के इन्हें गंभीरता से लेना मुश्किल है.
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