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नवभारत स्पेशल डेस्क: नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize 2023) ईरान की जेल में बंद एक्टिविस्ट नरगिस मोहम्मदी (Jailed activist Narges Mohammadi) को देने का फैसला किया गया है। उन्हें यह सम्मान ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए दिया गया है।
नोबेल शांति पुरस्कार इसलिए मिला
नार्वे की नोबेल समिति ने ईरान की नरगिरस मोहम्मदी का नाम घोषित करते हुए कहा कि नार्वे नोबेल समिति ने ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए नरगिस मोहम्मदी को 2023 का नोबेल शांति पुरस्कार देने का फैसला किया है। उन्होंने महिलाओं समेत सभी लोगों के मानवाधिकारों और स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी।
BREAKING NEWS
The Norwegian Nobel Committee has decided to award the 2023 #NobelPeacePrize to Narges Mohammadi for her fight against the oppression of women in Iran and her fight to promote human rights and freedom for all.#NobelPrize pic.twitter.com/2fyzoYkHyf— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 6, 2023
13 बार गिरफ्तार और 5 बार दोषी ठहराया
समिति ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर एक पोस्ट करते हुए नरगिस मोहम्मदी के बारे में बताया कि नरगिस मोहम्मदी को अपने बहादुरी भरे संघर्ष की भारी कीमत चुकानी पड़ी। ईरानी शासन ने उन्हें 13 बार गिरफ्तार किया। 5 बार उन्हें दोषी ठहराया गया। उन्हें कुल 31 साल जेल और 154 कोड़ों की सजा सुनाई गई है। मोहम्मदी अभी भी जेल में हैं।
नोबेल समित ने कहा कि नरगिस मोहम्मदी को इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार देकर नॉर्वे नोबेल समिति ईरान में मानवाधिकारों, आजादी और लोकतंत्र के लिए उनकी हिम्मती लड़ाई का सम्मान करना चाहती है। समिति ने आगे ये भी कहा कि इस साल का शांति पुरस्कार उन लाखों लोगों को भी सम्मानित करता है, जो पिछले कुछ सालों में महिलाओं के खिलाफ भेदभाव और उत्पीड़न की धार्मिक नीतियों के खिलाफ विरोध करते रहे हैं ।
2023 #NobelPeacePrize laureate Narges Mohammadi’s brave struggle has come with tremendous personal costs. The Iranian regime has arrested her 13 times, convicted her five times, and sentenced her to a total of 31 years in prison and 154 lashes. Mohammadi is still in prison. pic.twitter.com/ooDEZAVX01
— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 6, 2023
कौन हैं नरगिस मोहम्मदी
नरगिस मोहम्मदी फिज़ीक्स की स्टूडेंट रहीं। अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्होंने इंजीनियर के तौर पर काम किया। साथ ही वो कई अखबारों के लिए आर्टिकल भी लिखती रहीं। 2003 में तेहरान के ‘हिफेंडर्स ऑफ ह्यूमन राइट्स सेंटर’ से जुड़ीं। बता दें कि इस संगठन को नोबेल पुरस्कार विजेता शिरीन एबादी ने शुरू किया था।
इसलिए जेल में है बंद नरगिस मोहम्मदी
- नरगिस मोहम्मदी ने हमेशा समानता और महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई लड़ी।
- 2011 में पहली बार उन्हें गिरफ्तार किया गया था।
- उन पर जेल में बंद कार्यकर्ताओं और उनके परिवारों की मदद करने का आरोप था।
- इसके लिए उन्होंने कई सालों तक जेल की सज़ा काटी।
- मोहम्मदी 2 साल बाद जमानत पर रिहा हुईं। इसके बाद भी वो समानता की लड़ाई लड़ती रहीं।
2015 से जेल में बंद हैं नरगिस मोहम्मदी
नरगिस मृत्युदंड के खिलाफ चलाए गए एक अभियान में शामिल हुईं। इसके लिए 2015 में उन्हें एक बार फिर गिरफ्तार किया गया और उनकी सज़ा को बढ़ा दिया गया। तब से वो जेल में बंद हैं। नरगिस मोहम्मदी राजनैतिक कैदियों पर सत्ता के उत्पीड़न के खिलाफ लगातार विरोध जताती रही हैं। उन्होंने खास तौर पर महिला कैदियों पर हो रहे उत्पीड़न और यौन हिंसा का विरोध किया।
500 से ज़्यादा प्रदर्शनकारी मारे गए
सितंबर 2022 में महसा जीना अमिनी ईरान की मोरेलिटी पुलिस की हिरासत में मारी गईं। इसके बाद देश भर में महिलाओं के अधिकारों के लिए विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। ‘महिला-जीवन-आज़ादी’ के नारे के तहत सैकड़ों हजारों ईरानियों ने सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की। ईरान की सरकार ने इस विरोध को दबाने के लिए कड़ी कार्रवाई की। इसमें 500 से भी ज़्यादा प्रदर्शनकारी मारे गए।
20,000 लोगों को गिरफ्तार किया गया
इस प्रदर्शन में हजारों लोग घायल हुए। कई लोग पुलिस की चलाई रबर की गोलियों से अंधे हो गए। इस दौरान कम से कम 20,000 लोगों को गिरफ्तार किया गया। नरगिस मोहम्मदी ने जेल में बंद रहते हुए इस प्रदर्शन का समर्थन किया। उन्होंने जेल में ही अपने साथियों को इकट्ठा कर देश में हो रहे विरोध प्रदर्शन के साथ अपना समर्थन दर्ज कराया।
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