राजेश खन्ना को स्टार बनाने वाली फिल्म, साउथ के थिएटर में 3 साल तक टिकी रही, रोजाना होते थे चार शोज

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नई दिल्ली. सेल्फी, कुत्ते, भीड़ जैसी कितनी ही ऐसी फिल्में हैं जो सिनेमाघरों में ज्यादा समय तक नहीं टिक पाई. इन फिल्मों के अलावा कुछ ऐसी भी फिल्में हैं जो पर्दे पर कब आई और कब गई पता ही नहीं चलता वहीं 1969 में एक ऐसी फिल्म ने सिनेमाघरों में दस्तक दी थी जो पूर 50 हफ्ते तक सिनेमाघरों में चलती रही थी. राजेश खन्ना इस फिल्म में लीड रोल में नजर आए थे.

राजेश की ये सुपरहिट फिल्म कोई और नहीं बल्कि शक्ति सामंत के निर्देशन में बनी फिल्म ‘आराधना’ थी. राजेश खन्ना इसी फिल्म से इंडस्ट्री में स्टार के रूप में उभरे थे. उन्हें स्टार बनाने का श्रेय अगर किसी को जाता है, तो वह हैं शक्ति सामंत जिनकी सुपरहिट फिल्मों में राजेश खन्ना ने हर बार दर्शकों का दिल जीतकर उन्हें मालामाल कर दिया था. इस फिल्म के बाद ही राजेश खन्ना सुपरस्टार बने थे. बहुत कम लोग जानते हैं कि फिल्म के निर्देशक शक्ति सामंत पहले इस फिल्म को बनाने की इच्छा छोड़ चुके थे. लेकिन बाद में उन्होंने ये फिल्म बनाई और फिल्म ब्लॉकबस्टर साबित हुई थी.

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आरआरआर को टक्कर देने वाली फिल्म
शक्ति समानता के निर्देशन में बनी राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर स्टारर अराधना में और राजेश खन्ना के अलावा फरीदा जलाला, सुजीत कुमार, सुभाष घई और अशोक कुमार जैसे सितारे मुख्य भूमिका में नजर आए थे. इस फिल्म ने कमाई के मामले में उस दौर में भी कमाल कर दिया था. 1969 में फिल्म ने 17.85 करोड़ की कमाई कर बॉक्स ऑफिस को हिला दिया था. आज के हिसाब से देखे तो फिल्म ने 900 करोड़ से ऊपर की कमाई की थी. यानी ये फिल्म आरआरआर को टक्कर देने वाली फिल्म हो सकती है. बाद में इस फिल्म का सीक्वल भी बनाया गया.

राजेश खन्ना ने अपने एक्टिंग करियर में शक्ति सामंत के साथ ‘अमर प्रेम’, ‘आराधना’ और ‘कटी पतंग’ जैसी कालजयी फिल्मों में काम किया था.

3 साल सिनेमाघरों में टिकी रही फिल्म
साल 1969 में आई फिल्म अराधना में राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर पहली बार किसी फिल्म में साथ नजर आए थे. दोनों की केमिस्ट्री भी फिल्म में काफी पसंद की गई थी. इश फिल्म के बाद इन दोनों की जोड़ी काफी हिट हुई थी. भारत के अलावा आराधना पूर्वोत्तर राज्यों और 4 दक्षिणी भारतीय राज्यों के गैर-हिंदी भाषी क्षेत्रों में तो एक दिन में चार शो दिखाए गए थे. ये उस दौर में वहां 100 से ज्यादा दिनों तक टिकी रहने वाली पहली हिंदी फिल्म है. साउथ के सिनेमाघरों में तो फिल्म 3 साल तक सिनेमाघरों से नहीं हटी. राजेश खन्ना की ये कल्ट क्लासिक फिल्म मानी जाती है.

बता दें कि इस फिल्म को लेकर शर्मिला टैगोर ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि उस दौर में तो भाषाई सरहदें काफी हद तक थी जो अब कम हुई हैं और दक्षिण भारत में हिंदी सीखने और बोलने की कोशिश कर रहे लोगों पर तो खूब विवाद हुआ था. वो एक दौर ऐसा था, जब लोग अपनी स्थानीय भाषा को लेकर रिजिड थे. जब आराधना रिलीज हुई थी तो चेन्नई में हिंदी के खिलाफ जबरदस्त विरोध प्रदर्शन चल रहा था. उस समय एक तरह का हिंदी बहिष्कार चल रहा था, फिर भी ‘आराधना’ 50 हफ्तों तक सिनेमाघरों में चली.

Tags: Entertainment Special, Rajesh khanna, Sharmila Tagore

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