Myanmar Earthquake: शुक्रवार को म्यांमार और थाईलैंड में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. पहला भूंकप दोपहर 12.50 बजे था, जिसकी तीव्रता 7.7 मापी गई. इसके 12 मिनट बाद 6.4 तीव्रता का दूसरा भूकंप आया. म्यांमार में अभी भी लगातार भूकंप के झटके महसूस हो रहे हैं. इससे लोगों में डर का माहौल बना हुआ है. शुक्रवार रात 11.56 बजे भी म्यांमार में 4.2 तीव्रता का भूकंप आया था. भूकंप ने म्यांमार में भारी तबाही मचाई है. इस आपदा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 1000 हो गई है. जबकि लगभग 1700 लोग घायल हैं.
भूकंप का केंद्र मध्य म्यांमार में, मांडले शहर से लगभग 17.2 किलोमीटर दूर था. इससे पड़ोसी थाईलैंड भी प्रभावित हुआ. राजधानी बैंकॉक में एक निर्माणाधीन गगनचुंबी इमारत ढह गई, जिसमें कम से कम नौ लोग मारे गए. पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में भी भूकंप का असर देखने को मिला, हालांकि किसी के हताहत होने या संपत्ति को कोई खास नुकसान होने की खबर नहीं है.
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क्यों है उच्च जोखिम वाला क्षेत्र?
म्यांमार (पहले का नाम बर्मा) भूकंप के नजरिये से सबसे अधिक सक्रिय क्षेत्रों में से एक है. वैश्विक भूकंपीय जोखिम मानचित्र पर, म्यांमार भूकंप के मध्यम से उच्च जोखिम वाले रेड जोन में आता है. यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के अनुसार, यह एक उथला भूकंप था, जिसकी गहराई सिर्फ 10 किलोमीटर थी और पिछले दो सालों में दुनिया में आया सबसे शक्तिशाली भूकंप था.
क्या है सागाइंग फॉल्ट
ऐसा कहा जाता है कि म्यांमार में भूकंप के खतरे का सबसे बड़ा कारण सागाइंग फॉल्ट है. ये एक बड़ा फॉल्ट है, जो मुख्य रूप से भारतीय प्लेट और सुंडा प्लेट के बीच पड़ता है. यह म्यांमार से लगभग 1,200 किलोमीटर तक फैला हुआ है. इस फॉल्ट में दो भूभाग एक दूसरे के बगल में चलते हैं, जिनकी गति दर सालाना 11 मिमी और 18 मिमी के बीच अनुमानित है. लगातार खिसकने से तनाव बढ़ता है और अंततः भूकंप के रूप में निकलता है. मापी गई फिसलन दर, जो प्रति वर्ष 18 मिमी तक है, पर्याप्त गति को इंगित करती है. इसका मतलब है कि यहां पर पर्याप्त ऊर्जा एकत्र होती जो एक बड़े भूकंप का कारण बन सकती है.
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भूकंप का कारण क्या था?
भूकंप तब आता है जब धरती की टेक्टोनिक प्लेटें एक दूसरे के खिलाफ खिसकती हैं, जिससे घर्षण पैदा होता है. फॉल्ट लाइन के साथ अचानक होने वाली इस हलचल से जमीन खतरनाक रूप से हिलती है और कभी-कभी भूस्खलन, बाढ़ और सुनामी की भी वजह बन सकती है. एक रिपोर्ट में यूएसजीएस ने कहा कि म्यांमार में भूकंप भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के बीच ‘स्ट्राइक स्लिप फॉल्टिंग’ के कारण आया, जिसका अर्थ है कि ये दोनों प्लेटें एक-दूसरे के खिलाफ रगड़ खा गईं. भूकंप की शुरुआत उस स्थान से होती है जिसे एपिसेंटर कहते हैं. सबसे तीव्र कंपन आमतौर पर एपिसेंटर के पास महसूस किया जाता है, लेकिन कंपन को सैकड़ों या हजारों मील दूर भी महसूस किया जा सकता है.
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म्यांमार में कितने भूकंप आते हैं?
म्यांमार में सागाइंग फॉल्ट के कारण अक्सर भूकंप आते रहते हैं. यूएसजीएस डेटा के अनुसार, 1900 से अब तक सागाइंग फॉल्ट के पास 7 से अधिक तीव्रता के कम से कम छह भूकंप आ चुके हैं. इनमें से सबसे हालिया जनवरी 1990 में आया 7 तीव्रता का भूकंप था, जिसके कारण 32 इमारतें ढह गई थीं. फरवरी 1912 में, शुक्रवार को आए भूकंप के केंद्र के ठीक दक्षिण में 7.9 तीव्रता का भूकंप आया था. 2016 में लगभग उसी क्षेत्र में 6.9 तीव्रता का भूकंप आया था.
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कैसे मापा जाता है भूकंप?
वैज्ञानिक भूकंप के आकार का निर्धारण परिमाण (Magnitude) और तीव्रता (Intensity) का उपयोग करके करते हैं. मैग्नीटयूड, सिस्मोग्राफ का उपयोग करके जारी ऊर्जा को मापता है. रिक्टर स्केल, जिसे 1930 के दशक में चार्ल्स रिक्टर द्वारा बनाया गया था, कभी इस उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाता था, लेकिन अब बड़े, दूर के भूकंपों के लिए पुराना हो गया है. रिक्टर स्केल रिकॉर्डिंग पर सबसे बड़े आयाम को मापता है, जबकि अन्य मैग्नीटयूड स्केल भूकंप के विभिन्न हिस्सों को मापते हैं. यूएसजीएस वर्तमान में भूकंप के मैग्नीटयूड की रिपोर्टिंग के लिए मोमेंट मैग्नीट्यूड स्केल का उपयोग करता है, हालांकि अनुसंधान और तुलना के लिए अन्य स्केल की भी गणना की जाती हैं. तीव्रता भूकंप के कारण होने वाले कंपन और नुकसान को बताती है, जो अलग-अलग जगहों पर भिन्न होती है.