18 सदस्यों वाली स्वीडिश अकादमी के चुनाव का अनुमान लगाना बहुत ही कठिन है। यह जटिल प्रक्रिया है। नॉर्वे की साहित्य की नोबेल समिति नामांकित साहित्यकारों का मूल्यांकन कर अपनी संस्तुति अकादमी को भेजती है और इन सिफारिशों में से अकादमी नोबेल पुरस्कार के लिए चुनाव करती है। अब तक उन्होंने भविष्यवक्ताओं को कई बार चौंकाया है, फिर भी, चलिए हम 2023 के साहित्य के नोबेल पुरस्कार पर कुछ अनुमान लगाते हैं।
2023 का साहित्य का नोबल किसके नाम?
कहा जाता है कि इस प्रसिद्ध लेखक का नाम कई सालों से इस पुरस्कार के लिए प्रस्तावित है। लोगों का कहना है, समिति ने कई बार उनकी अवहेलना की है। सबसे पहले उनका नाम 2007 में उछला था।
काफ़्का और मिशिमा से प्रभावित बहुमुखी प्रतिभावान उपन्यासकार, कहानीकार, अनुवादक, शिक्षक, बेस्टसेलर मुराकामी ने विपुल लेखन किया है। उनका पहला उपन्यास ‘हियर द विन्ड सिंग’ 1979 में आया, जिस पर एक साल के भीतर फ़िल्म भी बनी। इस उपन्यास को नए लेखक के उत्तम साहित्य का पुरस्कार मिला। मुराकामी को पढ़ना और पचाना तनिक कठिन काम है। कुछ लोग उनकी अनेकार्थता की आलोचना करते हैं, तो कुछ को उनके लेखन में राजनीति का अभाव खटकता है। कुछ लोग उनके लेखन, खासकार प्रारंभिक लेखन को मात्र मनोरंजन के रूप में देखते हैं।
‘आफ़्टर द क्वेक’, ‘दि एलिफ़ेंट वैनिशेस’, ‘ब्लाइंड विलो, स्लीपिंग वूमन’, ‘मेन विदआउट वीमेन’ आदि उनके कहानी संग्रह हैं। प्रिंसटन तथा टफ़्ट्स यूनिवर्सिटी में शिक्षण कर चुके हारुकी मुराकामी के संस्मरण की किताब का नाम, ‘व्हाट आई टॉक अबाउट व्हेन आई टॉक अबाउट रनिंग’ है। वे अमेरिकन साहित्य के सिद्ध अनुवादक हैं।
जापान को 1994 (केनज़ाबुरो ओए) के बाद काफ़ी समय से साहित्य का नोबेल नहीं मिला है। देखना है अकादमी के मानदंड पर हारुकी मुराकामी खरे उतरते हैं अथवा नहीं।
वैसे तो चीन की झोली में भी साहित्य के नोबेल को आए एक दशक से ऊपर हो चुका है। पिछली बार 2012 में चीन के मो यान को यह प्राप्त हुआ था। बाजी लगाने वालों के लिए चीन की कैन श्वे भी दौड़ में शामिल हैं और वे काफी ऊंचे स्थान पर हैं। 2019 में उनका नाम पहली बार इस संदर्भ में सामने आया था। कई साल सामान्य मजदूर रहने के बाद लेखक बनी कैन श्वे का वास्तविक नाम डेन्ग शाहू है। उनका पहला उपन्यास 1986 में ‘ओल्ड फ़्लोटिंग क्लाउड’ नाम से आया।
प्रतीकात्मक लेखन के द्वारा स्वप्न जैसे तथा फ़ंतासी दुनिया की सृष्टि करने वाली कैन श्वे का 2013 में एक महत्वपूर्ण कार्य ‘लव इन द न्यू मिलेनियम’ प्रकाशित हुआ है। वे अपनी महत्वाकांक्षी तथा प्रयोगात्मक शैली केलिए जानी जाती हैं। यदि उन्हें इस साल का साहित्य का नोबेल मिलता है, तो मुझे उन्हें पढ़ना होगा।
अनुमान लगाने वालों की लिस्ट में जेरॉल्ड मुर्नैन, गूगी वा थिओंग’ओ, जॉन फ़ोस, मार्ग्रेट एटवुड, जॉयस कैरोल ओट्स, स्टीफ़न किंग के नाम शामिल हैं। कई सालों से अनुमान लगाने और निराश होने वाले एलेक्स शेफ़र्ड की लिस्ट में कैन श्वे, गूगी वा थिओंग’ओ, जॉन फ़ोस तथा जेरॉल्ड मुर्नैन शामिल हैं। कई बार उनकी बात सच हो गई है और कई बार उन्हें भी निराशा हुई है।
बॉब डिलेन को नोबेल मिलने वाले साल उनका अनुमान था कि इसे तो पक्का नहीं मिलने वाला है। 2023 की उनकी सूची में ऑस्ट्रेलिया के 84 साल के जेरॉल्ड मुर्नैन सबसे ऊपर स्थान रखते हैं। ऑस्ट्रेलिया को अब तक केवल एक बार (1973, पैट्रिक व्हाइट) यह मिला है। थोड़े-से सनकी, सांस्कृतिक कार्यक्रमों से दूर रहने वाले, इंग्लिश के एक महान जीवित मुर्नेन लेखक को बहुत कम लोग जानते हैं।
संभावनाशील लेखकों में कई सालों से गूगी वा थिओंग’ओ नाम प्रशंसकों-आलोचकों की जुबान पर हैं। आज 85 साल का यह साहित्यकार अफ्रीका के सबसे प्रभावशाली एवं महत्वपूर्ण पोस्टकॉलोनियल लेखक माना जाता है। उपनिवेश-विरोधी गूगी ने खूब लेखन किया है, उपन्यास, नाटक, साहित्यिक आलोचना आदि तमाम तरह का लेखन उनकी झोली में है।
‘पेटल्स ऑफ़ ब्लड’, ‘डेविल ऑनद क्रॉस’, ‘ए ग्रेन ऑफ़ व्हीट’, ‘विज़र्ड ऑफ़ द क्रो’ आदि उनके काम हैं। ‘विज़र्ड ऑफ़ द क्रो’ जादूई यथार्थवाद की संज्ञा दी जाती है। शायद नोबेल भी उनकी झोली में गिरे।
नाम तो हमारे इंग्लिश लेखक सलमान रुश्दी का भी हर साल लिया जाता है और पिछले साल लोगों को पक्का था कि उन्हें मिलेगा, क्योंकि प्रतिबद्ध लेखन के चलते उन्हें दशकों भूमिगत रहना पड़ा और पिछले साल उन पर जानलेवा हमला हुआ था।
पिछले साल एनी अर्नो को पुरस्कार दे कर समिति ने सबको चौंका दिया था। जबकि पोपुलर लेखक को नोबेल पुरस्कार देने का चलन नहीं है। अमेरिकी लेखक स्टेनगार्ड के अनुसार ‘कोई नहीं, मतलब कोई नहीं एक समूची दुनिया को अधिकार, मेधा, हास्य तथा सुंदरता के साथ रुश्दी जैसा जीवंत नहीं कर सकता है।’
‘विक्ट्री सिटी’ सलमान रुश्दी का 2023 में आया नवीनतम् उपन्यास है। उनके अन्य कार्यों पर खूब लेखन हुआ है, हिन्दी के पाठक उनसे बखूबी परिचित है। इसलिए उनके मात्र इस उपन्यास के बारे में कुछ बातें। ‘विक्ट्री सिटी’ एक स्त्री की गाथात्मक कहानी है। दो सौ सालों से अधिक की इस कहानी में विजयनगरम् के बनने, विकसित होने तथा पतन को बहुत गहराई से उकेरा गया है।
‘दि एटलांटा’ के अनुसार ‘विक्ट्री सिटी’ की सफ़लता का इसके होने मात्र में नहीं है, यह तो इसके सरासर अद्भुद होने में है। यदि उपन्यास प्रकाशित होते ही बेस्टसेलर हुआ तो क्या आश्चर्य! मेरी हार्दिक इच्छा औअर आशा है कि इस शानदार शैली के लेखक को इस साल का साहित्य का नोबेल पुरस्कार अवश्य मिलना चाहिए।
नाम तो कई और होंगे, लोगों की पसंद भी होगी। देखें नोबेल समिति की ज्यूरी किस नाम पर अपनी अंगुली धरती है, और इस साल कौन साहित्य का नोबेल विजेता बनता है। क्या पता समिति फ़िर एक ऐसे नाम का चुनाव करे, जो हमें चौंका दे। घोषणा के दिन का बहुत अपेक्षा के साथ इंतजार है।
घोषणा के दिन का बहुत अपेक्षा के साथ इंतजार है।
लेखक विश्व साहित्य और विश्व सिनेमा की गंभीर अध्येयता हैं और बीते दो दशकों से नोबेल पुरस्कारों पर लिख रही हैं. नोबेल पुरस्कार प्राप्त लेखकों पर उनकी छ: किताबें प्रकाशित हैं.
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